Wednesday 26 February 2014

मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा अधिनिर्णीत ब्याज राशि पर देय आयकर

क्या मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा

अधिनिर्णीत ब्याज राशि पर देय आयकर की

कटौती बीमा कंपनी द्वारा स्त्रोत पर

(भुगतान के समय) की जा सकती है ?
 


ऐसे मामले में आयकर के प्रयोजन से ब्याज

राशि की गणना एवं दावाकर्ता के हित की

सुरक्षा हेतु क्या प्रक्रिया अपनायी जाना

चाहिए ?

जहाँ कोई मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण,

मोटर यान अधिनियम, 1988 के अधीन किये गये

प्रतिकर के दावे को स्वीकार कर दावाकर्ता के

पक्ष में अधिनिर्णय पारित करता है वहां

अधिकरण यह निर्देश भी दे सकता है कि

प्रतिकर की राशि के अतिरिक्त विनिर्दिष्ट दर एवं

विनिर्दिष्ट तारीख (जो दावा संस्थित करने की

तारीख से पहले की नहीं होगी) से साधारण

ब्याज राशि भी अदा की जाए। वस्तुतः दावाकर्ता

का प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकार मोटर दुघ्
र्
ाटना घटित होने के तुरंत बाद ही उत्पन्न हो

जाता है। दावा प्रस्तुती उपरांत प्रतिकर निर्धारण

और तत्पश्चात् उसकी अदायगी में लगने वाले

समय के लिए ब्याज राशि दिलाई जाती है।

(संदर्भ - धारा 166 एवं 171 मोटर यान

अधिनियम, 1988)आयकर अधिनियम, 1961 में ’’ब्याज’’ को आय

माना गया है। उक्त अधिनियम की धारा 2 (28.

।) के अधीन ’’ब्याज’’ को परिभाषित किया गया

है। आयकर अधिनियम की धारा 194.। यह

उपबंध करती है कि व्यक्ति या हिन्दू अविभाजित

परिवार से भिन्न कोई व्यक्ति जब ब्याज के रूप

में आय का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है

तब ऐसे भुगतान के समय वह ऐसे ब्याज की

आय पर प्रभावी दर से आयकर कटौत्रा

करेगा। धारा 194.। की उपधारा (3) उन

अपवादों को निरूपित करती है जिनमें

उक्तानुसार ब्याज पर आयकर कटौत्रा (एक

सीमा तक) नहीं किया जाएगा। उपधारा (3) के

खण्ड (पग) के अनुसार जहाँ मोटर दावा दुर्घटना

अधिकरण द्वारा अधिनिर्णीत ब्याज राशि के रूप

में ऐसी किसी आय का भुगतान किया जाता है

वहां जब तक की भुगतान किये जाने वाले वित्त

वर्ष के दौरान ऐसी ब्याज की आय ृ50,000 से

अधिक नहीं हो, भुगतानकर्ता (बीमा कंपनी) द्वारा

ब्याज राशि पर आयकर नहीं काटा जाएगा।

संदर्भ - धारा 2 (28.।) एवं धारा 194.। (1) (3)
(पग) आयकर अधिनियम 1961
जहां तक अधिनिर्णीत ब्याज राशि पर देय

आयकर के प्रयोजन से ब्याज की गणना का

प्रश्न है, अधिनिर्णीत ब्याज को प्रतिकर का दावा

प्रस्तुत किये जाने के दिनांक से संदाय के

दिनांक तक वर्षो (वित्त वर्षो) में विभाजित कर

ब्याज की गणना की जानी चाहिए एवं सुसंगत

वित्त वर्ष के लिए यदि ऐसी संगणित ब्याज

राशि ृ 50,000 से अधिक है तक ही स्त्रोत पर

आयकर कटौती की जाएगी। प्रतिकर के दावा

दिनांक से संदाय दिनांक तक के अवधि के लिए

देय कुल ब्याज राशि को एक मुश्त राशि

मानकर आयकर कटौती नहीं की जा सकती है।

यहाँ यह समझ लेना भी आवश्यक है कि

जहाँ मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने

अधिनिर्णय के अधीन देय राशि एक से अधिक

दावाकर्ताओं के पक्ष में अधिनिर्णीत की है वहां

प्रत्येक व्यक्तिगत दावाकर्ता को अनुपातिक रूप

से संदाय की जाने वाली प्रतिकर राशि पर देय

ब्याज की गणना की जावेगी और ऐसे प्रत्येक

दावाकर्ता को संदेय प्रतिकर पर देय ब्याज की

राशि ृ 50,000 रूपये से अधिक होने की दशा में

ही स्त्रोत पर आयकर कटौती की जा सकेगी

क्योंकि आयकर अदायगी का दायित्व प्रत्येक

दावाकर्ता का पृथक होगा। इस संबंध में

न्यायदृष्टांत यूनाईटेड इंडिया इंश्यारेंस

कंपनी लिमिटेड विरूद्ध रामलाल, 2011 (2)

जे.एल.जे. 178 अवलोकनीय है।

ब्याज राशि पर स्त्रोत पर आयकर कटौत्रा के

साथ-साथ दावाकर्ता के हित को ध्यान में रखा

जाना चाहिए। जहाँ कि दावाकर्ता, अधिनिर्णय के

अधीन उसे प्राप्त होने वाली ब्याज राशि ृ

50,000 की सीमा से अधिक होने की दशा में भी

यदि सुसंगत विŸा वर्ष के लिए अपनी अन्य

स्त्रोत से प्राप्त समस्त आय और छूटों को

संगणित करते हुए, स्वयं को आयकर अदा करने

के उŸारदायित्व की परिधि में न आने वाला

साबित करता है तो ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी

आयकर कटौती की बाध्यता से मुक्त होगी

लेकिन इसके लिए दावाकर्ता को धारा 197-9

(1) (।) आयकर अधिनियम, 1961 सहपठित

नियम 29 आयकर नियम के अनुसार संबंधित

बीमा कंपनी में प्रारूप क्रमांक 15-ळ के अधीन

लिखित घोषणा करनी होगी।

उक्त विधिक स्थिति को देखते हुये मोटर दुघ्
र्
ाटना दावा अधिकरण के लिए यह विधिपूर्ण और

उपर्युक्त होगा की प्रतिकर राशि पर ब्याज

अधिनिर्णीत किये जाने की दशा में

दावाकर्ता/दावाकर्ताओं द्वारा बीमा कंपनी में

उक्तानुसार प्रारूप क्रमांक 15-ळ की घोषणा

करने और ऐसा किये जाने की पुष्टि में

दावाकर्ता/दावाकर्ताओं द्वारा अधिकरण के समक्ष

शपथ पत्र प्रस्तुत किये जाने पर ही ब्याज राशि

का भुगतान जारी किया जाये। अधिकरण के

लिए यह उपयुक्त होगा की अधिनिर्णय (अवार्ड)

में स्वीकृत ब्याज राशि पर देय आयकर कटौत्रा

के संबंध में दावाकर्ता और बीमा कंपनी के

अधिकार और दायित्वों को दृष्टिगत रखते हुए

समुचित निर्देश दिये जाये।

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