Saturday 31 August 2019

अपील मे आरोपी की अनुपस्थिति में गुण दोषों पर निराकरण

अपील का आरोपी की अनुपस्थिति में गुण दोषों पर निराकरण* 

न्याय दृष्टांत बनी सिंह विरुद्ध उत्तर प्रदेश राज्य (1996) 4  एस.सी.सी. 720 में अभिनिर्धारित किया गया है कि अपीलार्थी की अनुपस्थिति में दांडिक अपील के निराकरण के संदर्भ में विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि दांडिक अपील अनुपस्थिति में निरस्त नहीं की जाना चाहिए। दांडिक अपील का निराकरण गुण दोष के आधार पर किया जाना चाहिए यदि अपीलार्थी  या उसके अभिभाषक उपस्थित नहीं होते हैं तो न्यायालय को अपील गुण दोषों के आधार पर निराकृत करनी 

न्यायालय चेक राशि एवं उस पर 9% वार्षिक ब्याज दिलाएं


न्याय दृष्टांत आर. विजयन बनाम बेवी 2012(1) एस.सी.सी. 260 में माननीय न्यायालय द्वारा यह अभीनिर्धारित किया गया है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की *धारा 138 के मामलों में दोष सिद्धि की दशा में चेक की राशि और उस पर 9% वार्षिक की दर से ब्याज* को ध्यान में रखा जाना चाहिए और परिवादी को नुकसान की युक्ति युक्त पूर्ति किस राशि से होगी यह उक्त तथ्यों के प्रकाश में निकाला जा सकता है।

चेक प्रकरण में न्यायालय अवधारणा करेगी कि वह किसी ऋण या दायित्व के अधीन दिया है

न्याय दृष्टांत रघुनाथन रोहवा राजन 2003 (1) टीसीआर 615 में माननीय मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के अधीन प्रस्तुत किए गए *परिवाद में न्यायालय उवधारणा करती है कि चेक किसी ऋण या दायित्व के अधीन ही जारी किया गया था,* जब तक कि ऐसी उपधारणा को खंडित नहीं कर दिया जाता है। 

न्याय दृष्टांत आर. विजयन बनाम बेवी 2012(1) एस.सी.सी. 260 में माननीय न्यायालय द्वारा यह अभीनिर्धारित किया गया है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की *धारा 138 के मामलों में दोष सिद्धि की दशा में चेक की राशि और उस पर 9% वार्षिक की दर से ब्याज* को ध्यान में रखा जाना चाहिए और परिवादी को नुकसान की युक्ति युक्त पूर्ति किस राशि से होगी यह उक्त तथ्यों के प्रकाश में निकाला जा सकता है।

*अपील का आरोपी की अनुपस्थिति में गुण दोषों पर निराकरण* 

न्याय दृष्टांत बनी सिंह विरुद्ध उत्तर प्रदेश राज्य (1996) 4  एस.सी.सी. 720 में अभिनिर्धारित किया गया है कि अपीलार्थी की अनुपस्थिति में दांडिक अपील के निराकरण के संदर्भ में विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि दांडिक अपील अनुपस्थिति में निरस्त नहीं की जाना चाहिए। दांडिक अपील का निराकरण गुण दोष के आधार पर किया जाना चाहिए यदि अपीलार्थी  या उसके अभिभाषक उपस्थित नहीं होते हैं तो न्यायालय को अपील गुण दोषों के आधार पर निराकृत करनी चाहिए।

सही पते पर रजिस्टर्ड डाक से सूचना पत्र भेजा तो मिलने की अवधारणा होगी


न्याय दृष्टांत के. भास्कर विरुद्ध संकरण वेधन बालन 1999 क्रिमिनल ला जनरल 4606, AIR 1999 SC 3762 एवं ए. सतनारायण विरुद्ध सी. नागराज 2000 क्रिमिनल ला जनरल व सी.सी. अलावी हाजी विरुद्ध पालापेट्टी आदि आई एल आर 2007 एस.सी., एस.यू.पी.पी 1707  में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह प्रतिपादित किया गया है कि धारा 138 बी पराक्रम लिखत अधिनियम के अंतर्गत *सही पते पर रजिस्टर्ड डाक से सूचना पत्र भेजा गया हो तो सूचना पत्र प्राप्त करता को मिलने की उपधारणा की जाएगी।* इसी संबंध मे धारा 27 जनरल क्लोजेज एक्ट भी अवलोकनीय है। इसी संबंध मे न्याय दृष्टांत सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया विरुद्ध सेकसोन्स फार्म 2000 (1) एमपीएलजे 149 सुप्रीम कोर्ट भी उक्त संबंध में अवलोकनीय है।


चेक पर हस्ताक्षर स्वीकार है तो अन्य लिखावट का महत्व नहीं

चेक पर हस्ताक्षर स्वीकार है तो अन्य लिखावट का महत्व नहीं

न्याय दृष्टांत आईएलआर 2008 मध्यप्रदेश 1309 नरेन्द्र बनाम आनंद कुमार के प्रकरण में प्रतिपादित किया गया है कि यदि आरोपी ने *चेक पर अपने हस्ताक्षर को स्वीकार किया है तो ऐसी स्थिति में चेक के अन्य कालमो में किसी अन्य के द्वारा लिखावट की गई हो तो ऐसी स्थिति में चेक का हस्तलेख विशेषक से जांच कराए जाने का कोई लाभदायक परिणाम नहीं निकलेगा* क्योंकि चेक के अन्य कालम आरोपी के निर्देश पर अन्य के द्वारा भी भरे जा सकते हैं।

Thursday 8 August 2019

सोसायटी पर धारा 33 की कार्यवाही- वित्तीय हित अस्तित्व में नहीं रहा है तो वह सोसायटी राज सहायता प्राप्त सोसायटी नहीं है और उसे अधिक्रांत करने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 धारा 3 (च) और 33 - राज्य सहायता प्राप्त सोसायटी- उसका अर्थ - सोसायटी को अधिनियम की धारा 33 के अंतर्गत अधिक्रांत करने के प्रयोजन के लिए निर्णायक कसौटी यह है कि क्या सोसायटी को सहायता अनुदान या ऋण देने वाले केंद्रीय शासन, राज्य या कानूनी निकाय का सोसायटी में वित्तीय हित निहित है। यदि वह निहित है तो वह राज्य सहायता प्राप्त सोसायटी है और उसके विरुद्ध अधिक्रांत करने की कार्रवाई की जा सकती है परंतु यदि वित्तीय हित में अस्तित्व में नहीं रहा है तो वह सोसायटी राज सहायता प्राप्त सोसायटी नहीं है और उसे अधिक्रांत करने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
 मध्यप्रदेश राज्य विरुद्ध चंद्रशेखर आजाद शिक्षा प्रसार समिति भिंड,  एआईआर 2008 मध्य प्रदेश 128 फुल निर्णय देखने के लिए निम्न लिंक देखें
https://drive.google.com/file/d/1PqxfHj90pwUYF7gFIBfdX6F5mQndqtyn/view?usp=drivesdk

Tuesday 6 August 2019

रजिस्टर्ड स्वामी के विरुद्ध अतिक्रमण कर्ता को स्वामित्व अधिकार प्राप्त नहीं होंगे


माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा  सिविल अपील नंबर 4527 /2009  पूनाराम  विरुद्ध मोतीराम आदि के प्रकरण में 29 जनवरी 2019 को अभिनिर्धारित किया गया की :-
         राजस्थान के पुनाराम बाड़मेर निवासी व्यक्ति ने वर्ष 1966 में एक जमीदार से भूमि खरीदी जो एक जगह नहीं होकर अलग-अलग जगह पर थी।  जब उस जमीन के मालिकाना हक की बात हुई तो पता चला कि उस भूमि पर दूसरे व्यक्ति मोतीराम  नाम के दूसरे आदमी का कब्जा है, जिसके पास कोई स्वामित्व संबंधी दस्तावेज डॉक्यूमेंट नहीं था। तब पूनाराम ने लोवर कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किया और कब्जा प्राप्त करने का निवेदन किया,  वर्ष 1972 में ट्रायल कोर्ट द्वारा पूनाराम के हक में फैसला करते हुए उसको जमीन देने का निर्णय लिया गया, जिसकी अपील हाई कोर्ट में कर इस फैसले को चैलेंज किया गया हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के  फैसले को बदल दिया तथा पुनाराम के कब्जे को नहीं हटाने का निर्णय दिया गया। माननीय उच्चतम न्यायालय में इसकी  अपील किए जाने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा मत दिया कि पूनाराम की भूमि पर कब्जा करने वाले को ताकत से हटाया जा सकता है, इसके लिए कोर्ट केस करने की जरूरत नहीं है।  अगर प्रॉपर्टी आपके टाइटल नाम से ना हो या कब्जे को 12 साल या उससे ज्यादा हो गए हैं तो आपको कोर्ट केस करना होगा तभी कब्जा प्राप्त किया जा सकता है।
           इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह भी व्यक्त किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के क्लियर टाइटल स्वामित अर्थात नाम वाली प्रॉपर्टी पर कब्जा करता है चाहे कब्जा 12 साल से ज्यादा का ही क्यों ना हो मालिक वही व्यक्ति रहेगा जिसके नाम प्रॉपर्टी भूमि है कब्जा करने वाला व्यक्ति मालिक नहीं बनेगा ऐसे में प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वाले व्यक्ति को उसका मालिक बलपूर्वक खाली करा सकता है  दिया गया है।