Thursday 28 November 2013

आरुषि हत्या और परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार


नई दिल्ली के आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या में मां-बाप राजेश तलवार और नूपुर तलवार को उम्र कैद दी गई है। क्या हैं जज की नजर में वो  परिस्थितिजन्य साक्ष्य जो बनी हैं तलवार दंपति की उम्र कैद का आधार?
1-लास्ट सीन थ्योरी यानि मारा गया इंसान आखिरी बार किसके साथ देखा गया। एडिशनल सेशन जज श्याम लाल ने तलवार दंपति को उम्र कैद देने के लिए पहला आधार इसी को चुना। ये आधार बेहद मजबूत था। 15-16 मई की जिस रात आरुषि और हेमराज की हत्या हुई थी उस दिन दोनों को आखिरी बार नोएडा के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल-32 में डॉ. राजेश तलवार के ड्राइवर उमेश शर्मा ने रात 930 बजे तलवार दंपति के साथ देखा था।
2-जज ने माना कि साढ़े पांच साल पहले उस अभागी रात को जलवायु विहार के उस फ्लैट में सिर्फ चार ही लोग थे। दो की हत्या हो गई और दो बच गए। लिहाजा शक सीधे बचे हुए लोगों पर ही जाएगा। इसी लिहाज से तलवार दंपति पर कत्ल का शक गया। बाहर से किसी व्यक्ति के आने के सबूत नहीं थे। यही बना सजा का दूसरा आधार।
3-16 मई की सुबह 6 बजे आरुषि का शव उसके बेडरूम में पड़ा था। शव पर चादर ढंकी थी और बगल में ही तलवार दंपति का कमरा था। दोनों कमरों के बीच सिर्फ एक दीवार थी। आखिर दंपति को हत्या की सूरत में कोई आवाज कैसे सुनाई नहीं पड़ी।
4-17 मई 2008 को तब तक लापता बताए जा रहे घर के नौकर हेमराज का शव भी घर की छत पर मिल गया। छत पर जाने का दरवाजा अंदर से बंद था। उसपर ताला जड़ा था। आखिर किसने ये ताला बंद किया। ताले की चाभी तलवार दंपति के पास ही रहती थी। ये बना उन्हें इस केस में उम्रकैद का चौथा आधार।
5-आरुषि का दरवाजा भीतर से ऑटोमैटिक लॉक से बंद था। यानि उसे या तो भीतर से बिना चाभी के खोला जा सकता था या फिर बाहर से चाभी से। नोएडा पुलिस के मुताबिक खुद राजेश तलवार ने रात में दरवाजा बंद कर सोने जाने की बात कही थी तो फिर आरुषि का दरवाजा खुला कैसे। उसे सिर्फ बाहर से चाभी से ही खोला जा सकता था। सजा का ये पांचवां आधार भी तलवार दंपति पर भारी पड़ा।
6-हत्या की पूरी रात घर का इंटरनेट चालू रहा। जज के आदेश के मुताबिक ये भी उनके फैसले का आधार बना क्योंकि घर का इंटरनेट चालू रहना ये साबित कर रहा था कि घर में मौजूद दो सदस्यों में से एक पूरी रात जगा हुआ था।
7-अदालत में तलवार दंपति ने बचने के लिए कई तर्क दिए। उसमें एक तर्क ये भी दिया गया था कि रात में बिजली चली गई थी और इसी वजह से इंटरनेट का राउटर बंद हो गया था लेकिन जांच के दौरान ये साबित हो गया कि उस इलाके में उस रोज बिजली नहीं गई थी और सुबह तक इंटरनेट चलता रहा था।
8-घर के नौकरों के साथ कुछ और लोगों ने मिलकर हत्या की, ये थ्योरी भी कोर्ट में धराशायी हो गई। जज साहब ने इसे भी अपने फैसले का एक आधार बनाया। उन्होंने अपने फैसले में साफ कहा कि उस रात फ्लैट के आसपास किसी अवांछित व्यक्ति के नजर आने या पाए जाने की कोई बात सामने नहीं आई।
9-हत्या की रात किसी बाहरी व्यक्ति के जबरन घर में घुसने की थ्योरी भी अदालत में ठहर नहीं पाई। फैसले में साफ लिखा गया है कि जबरन घर में घुसकर कत्ल करने का कोई सबूत पेश नहीं किया जा सका है। ये बात भी तलवार दंपति को सजा का आधार बनी।
10-चोरी के लिए घर में कुछ लोग घुसे और उन्होंने चोरी के लिए ही आरुषि और हेमराज को मार डाला। ये कहानी भी अदालत में फुस्स हो गई। जज साहब ने अपने आदेश में साफ लिखा है कि जलवायु विहार के एल-32 फ्लैट में किसी तरह की चोरी की या सामान गायब करवाने का कोई साक्ष्य नहीं मिला।
11-आरुषि हेमराज हत्याकांड में घर की नौकरानी भारती की गवाही सबसे अहम साबित हुई। भारती ने साफ कहा था कि घर में घुसते ही उससे आरुषि की मां नूपुर तलवार ने ये नहीं कहा कि उनकी बेटी की हत्या हो गई है, बल्कि उन्होंने ये कहा कि हेमराज बाहर से दरवाजा बंद कर शायद दूध लेने गया हुआ है। जज साहब ने आदेश में इसका जिक्र किया है। अदालती जंग में ये बयान झूठा साबित हुआ।
12-किसी के घर में भी अगर बेटी मार डाली गई हो तो आखिर वो बेहद सामान्य कैसे रह सकता है। इसबात पर अदालत में खासी बहसबाजी हुई थी। जज साहब ने नौकरानी भारती के इस बयान का जिक्र अपने आदेश में किया है कि जिस वक्त वो घर में गई तो उसने तलवार दंपति को रोते हुए नहीं देखा। इस बयान को फैसले का एक आधार बनाया गया।
13-नौकरानी भारती मंडल के बयान के आधार पर ही इस केस के कई सच सामने सके। जज श्याम लाल के आदेश में भारती के एक और बयान का साफ जिक्र है। भारती ने बताया कि जब आरुषि के कत्ल की बात सामने आई तो नूपुर तलवार ने उससे कहा था कि हेमराज आरुषि को मार कर भाग गया है, जबकि हेमराज का शव बाद में खुद छत से मिला। कोर्ट ने इस गवाही को तलवार दंपति के झूठ को साबित करने वाला करार दिया।
14-आरुषि के मां बाप के कपड़ों पर कहीं भी खून के धब्बे नहीं मिले। कोर्ट में इसपर भी बहस हुई। जज ने अपने आदेश में इसे भी सजा का आधार बनाया। कहा कि ये बड़ा अजीब है कि जिन मां-बाप को सुबह अपनी बेटी की हत्या का पता चला हो उन्होंने बेटी के जिस्म को गले तक लगाया हो, साफ था दाल में कुछ काला है।
15-टेरेस की चाभी तलवार दंपति के पास रहती थी। आखिर ये कैसे मुमकिन है कि कोई बाहरी व्यक्ति आए, कत्ल करे और हेमराज की खून से लथपथ लाश को छत पर घसीटता हुआ ले जाए। फिर लौटे छत का दरवाजा भीतर से बंद करे। ताला मारे और निकल जाए। जज साहब ने इसे अहम माना और अपने फैसले का एक आधार भी बनाया।
16-तलवार दंपति के खाने की मेज पर बिना ग्लास स्कॉच की बोतल मिली थी। बोतल पर खून के निशान भी थे। केस में बहस के दौरान ये कहा गया कि कातिल अगर बाहरी होता तो कत्ल के बाद घर में आराम से बैठकर शराब पीता बल्कि भागता। जज ने इस तर्क को भी अहम माना और इसे अपने फैसले का आधार बनाया। कहा कि ऐसा तो घर का कोई करीबी सदस्य ही कर सकता है।
17-मारा गया हेमराज शरीर से तगड़ा था और किसी भी बाहरी व्यक्ति के लिए अकेले उसे मार कर उसके शरीर को घसीटते हुए ऊपर सीढ़ियों से लेकर टेरेस पर ले जाना संभव नहीं था। बिना किसी की मदद के ये लगभग नामुमकिन था। अदालत ने अभियोजन पक्ष का ये तर्क भी माना। इशारा तलवार दंपति की ओर था कि उन्होंने हेमराज को मारा और मिलकर उसे ऊपर खींचकर ले गए।
18-तलवार दंपति के फ्लैट में छत का गेट हमेशा खुला रहता था। जज ने अपने आदेश में साफ लिखा है कि गवाहों के मुताबिक इसगेट पर पहली बार 16 मई की सुबह ताला लगा हुआ देखा गया। आरुषि के कत्ल के बाद पुलिस आई और उसने छत के ताले की चाभी मांगी मगर डॉ. राजेश तलवार ने उसे टाल दिया, जबकि छत के दरवाजे पर खून के धब्बे नजर रहे थे।
19-आरोपियों ने अपने बयान में कहा था कि घर में पुताई का काम शुरू हुआ था और इसी वजह से हेमराज ने छत के दरवाजे को लॉक करना शुरू कर दिया था लेकिन अगर कोई बाहरी व्यक्ति हत्या के इरादे से आता तो वो हेमराज को मार कर आखिर उसके पास से चाभी खोजकर शव को छत पर रखकर दोबारा छत का दरवाजा लॉक क्यों करता। ये सवाल भी फैसले का एक आधार बना।
20-सबूतों को छिपाने की तलवार दंपति की कई कोशिशें अदालत में सामने रखी गईं। जज ने अपने फैसले में भी उनका जिक्र किया। साफ लिखा कि छत पर हेमराज के शव को घसीटकर उसे कूलर के पैनल से ढंकने के साथ ही सामने की लोहे की रेलिंग पर एक चादर फैला दी गई थी ताकि कूलर तक किसी की नजर पड़ सके।
21-इतना ही नहीं जज श्याम लाल ने अपने फैसले में घटनास्थल से साक्ष्य मिटाने की एक और कोशिश का भी जिक्र किया है। उन्होंने साफ कहा कि सीढ़ियों पर खून के धब्बे धोने की कोशिश की गई थी। उन्हें साफ किया गया था।
22-किसी भी हत्या को साबित करने के लिए मकसद या वजह का होना बेहद जरूरी है। आरुषि-हेमराज के कत्ल के पीछे भी वजह थी। जज श्याम लाल ने अपने फैसले में साफ लिखा कि केस की सुनवाई के दौरान ये वजह साबित हो चुकी है और ये वजह भी उनके फैसले का आधार बनी है।
23-जज ने इस बात पर हैरत जताई कि आखिर कोई शख्स अपने ही घर में काम करने वाले नौकर को पहचानने से कैसे इनकार कर सकता है। उन्होंने अपने फैसले में लिखा कि घर की छत पर हेमराज का शव मिलने के बाद जब डॉ. राजेश तलवार को बुलाया गया तो उन्होंने उसे पहचानने से ही इनकार कर दिया, बाद में दूसरे नौकर ने उसकी शिनाख्त की।
24-सबूतों को गायब करने, उनकी जानकारी देने का जिक्र रह-रहकर आरुषि हेमराज हत्याकांड के फैसले में आया। जज श्याम लाल ने हत्या में इस्तेमाल की गई गोल्फ स्टिक का भी जिक्र किया। साफ कहा कि वो स्टिक जिसे डॉ. राजेश तलवार गायब बता रहे थे, वही उन्हें कुछ दिनों बाद घर में अचानक मिल गई लेकिन उन्होंने इसकी सूचना साल भर बाद जांच अधिकारी को दी।
25-जज श्याम लाल ने अपने फैसले का आधार परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को बनाया। उन्होंने साफ कहा कि ये हत्याएं परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के मुताबिक गोल्फ स्टिक से की गईं, जो ये साबित करता है कि हत्याएं अचानक किसी बात से उत्तेजित होकर की गईं।
26-आरुषि-हेमराज की हत्या के बाद उनके गले जिस सफाई से सर्जिकल औजार से रेते गए वो कोई प्रशिक्षित व्यक्ति ही कर सकता है। जज श्याम लाल ने तलवार दंपति को सजा देने के लिए इसे भी आधार माना। उन्होंने अपने आदेश में साफ लिखा कि तलवार दंपति डॉक्टर होने के नाते ऐसा कर सकते हैं।
                                                                              LALARAM MEENA; BHOPAL (MP)

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