Tuesday 26 November 2013

मोटर यान अधिनियम 1988 दिशा निर्देश-LALARAM MEENA

मोटर यान अधिनियम 1988 दिशा निर्देश-

                                    मोटर यान अधिनियम 1988

                                       भारत लगातार विकसित होते देशो में से एक देश है, जहां पर विकास हो रहा हे चारों तरफ चोड़ी सड़के  बन रही है, वहीं दूसरी तरफ हवा से बाते करते मोटरयान भी बनाये जा रहे हैं । देश की आबादी लगभग 120 करोड़ है और सरकार के पास ऐसे साधन नहीं है कि सभी लोगों को यातायात सुविधाऐं उपलब्ध कराई जावें। उन्हें रेल सुविधा भी उपलब्ध भी नही के बराबर है । प्रायवेट वाहन कार, टेक्सी से लोग यात्रा करते हैं जिससे महानगरो में यातायात में दबाब बढ़ा हैं । मीलों लम्बी वाहनो की कतारें लगती है । 



                                           ऐसी स्थिति में मोटरयान अधिनियम के अंतर्गत वाहन का परिचालन किया जावे यह आवश्यक है लेकिन भारत में देखा गया है कि मोटरयान चालक व मालिक मोटरयान अधिनियम का पालन करने में लापरवाही बरतते हैं और बहुत उपेक्षा व लापरवाही से वाहनो का परिचालन करते हैं । जिससे प्रत्येक दिन अनेको दुर्घटनाऐं होती है। जिससे हजारों लोगो की मौत होती है तथा कई लोगों का जीवन विकलांग होने के कारण बर्बाद होता है ।



                                        यही कारण है कि भारत में यातायात नियमो का कठोरता से पालन हो और मोटरयान अधिनियम के अनुसार वाहनो का परिचालन हो। ऐसी जरूरत तेजी से मेहसूस की जा रही है ।



                                                 सर्वप्रथम किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान में मोटर चलाने के लिये उसके पास लायसेंस होना आवश्यक है । मोटरयान अधिनियम की धारा 3 में इसकी अनिवार्यता बताई गई है और लायसेंस न रहने पर उसके दण्ड को धारा 181 में बताया गया है । 



                                                                 इसी प्रकार अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान में मोटरयान नहीं चलाया जाना चाहिये । 50 सी0सी0 से कम क्षमता का वाहन 16 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को चलाना चाहिये । किन्तु 50 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को किसी भी मोटरयान चलाने ओर भारसाधक अधिकारी पर अधिनियम की धारा 5 के अंर्तगत यह उत्तरदायित्व सोंपा गया है । वह बिना लायसेंस और निर्धारित आयु सीमा न होने पर अपने वाहन का परिचालन नहीं करेगा। यदि वह ऐसा करता है तो अधिनियम की धारा 180 के अंतर्गत उसे दंडित किया गया है । इस प्रकार लायसेंस होना अनिवार्य है ।




        मोटरयान का रजिस्ट्ेशन होना अनिवार्य है । रजिस्ट्ेशन न होने की दशा में वाहन चलाने वाला और वाहन चलवाने वाला दोनो को दोषी माना गया है । इसी प्रकार यदि परिवहनयान को परिवहन के लिये उपयोग किया गया है तो उसका परमिट लिया जाना आवश्यक है । बिना परमिट के वाहन चलाया जाना दंडनीय है।   इसके अतिरिक्त हेलमेट पहनकर वाहन चालाना चाहिये । शराब पीकर वाहन चलाया लाना ड्ायबर को निर्धारित वेश-भूषा में वाहन चलाना अनिवार्य है । ऐसा न करने पर धारा 177 मोटरयान अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।         मोटरयान अधिनियम के अंतर्गत पहले दण्ड के प्रावधान कम थे । अब उन्हें अधिक कठोर बना दिया गया है । वर्तमान समय में धारा 177 का उल्लघंन होने पर सौ रूपये की जगह एक हजार रूपये अर्थदंड किया गया है तथा लायसेंस
परमिट क्षमता से अधिक वजन ढोने पर कम से कम पांच हजार रूपये अर्थदंड दो हजार रूपये की जगह किया गया है ।
        इस प्रकार मोटरयान अधिनियम कठोरता से लागू करने के प्रयास किये जा रहे है जो जागरूकता से यातायात नियमो





स्कूली बस के संचालन के संबध में मान्नीय उच्च न्यायालय के दिशा निर्देश-

       
                              मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा-2-47 के अनुसार एक शैक्षिक संस्थान बस एक परिवहन वाहन है और इसलिए सडक पर इसके परिवहन के लिए एक परमिट की आवश्यकता है ।       
                           यह परमिट बिना फिटनेस टेस्ट के हर साल इसका नवीनी करण नहीं होना चाहिए।


                           इसके लिए स्कूल बसों के चालको को यातायात अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि वह विधि अनुसार कार्यवाही करें । इसलिए मान्नीय उच्चतम न्यायालय द्वारा बच्चो को ले जाने  संबंधी स्कूल बसो की सुरक्षा के संबंध में कुछ दिशा निर्देश निर्धारित किये गये है जो निम्नलिखित है-


    1-    स्कूल बसों में पीले रंग चित्रित किया जाना चाहिए।
    2-    स्कूल बस वापस और बस के मोर्चे पर लिखा होना चाहिए। यह बस काम पर रखा
        जाता है तो स्कूल ड्यूटी पर स्पष्ट रूप से संकेत दिया जाना चाहिए।
    3-    बस एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स होना चाहिए।
    4-    बस निर्धारित मानक की गति राज्यपाल केसाथ सुसज्जित किया जाना चाहिए।
    5-    बस की खिडकियां क्षैतिज ग्रिल्स के साथ सुजज्ति किया जाना चाहिए।
    6-    बस में एक आग बुझाने की कल होना चाहिए।
    7-    स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बस पर लिखा होना चाहिए।
    8-    बस के दरवाजे विश्वसनीय ताले के साथ सुसज्जित किया जाना चाहिए।
    9-    सुरक्षित रूप से स्कूल बेग रखने के लिए सीटों के नीचे फिट स्थान नहीं होना चाहिए
    10-    बच्चो को भाग लेने के लिए बस में एक योग्य परिचर होना चाहिए।
    11-    बस या एक शिक्षक में बैंठे किसी भी माता पिता या अभिभावक भी इन सुरक्षा नियमों
        को सुनिश्चित करने के लिए यात्रा कर सकते हैं ।
    12-    चालक भारी वाहनों ड्ायविंग के अनुभव के कम से कम 5 साल होनी चाहिए।
    13-    लाल बत्ती कूद लेन अनुशासन का उल्लंघन या अनधिकृत व्यक्ति को ड्ायवर के लिए    अनुमति देता है । जैसे अपराधो के लिए एक वर्ष में दो बार से अधिक चालान किया  गया है जो एक ड्रायवर नियोजित नहीं किया जा सकता ।
    14-    अधिक तेजी, शराबी ड्राइविंग और खतरनाक ड्राइविंग आदि के अपराध के लिए एक   बार भी चालान किया गया है जो एक ड्राइवर नियोजित नहीं किया जा सकता।

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