Sunday 13 February 2022

अदालतों को निजी गवाहों से पूछताछ, जहां तक संभव हो, उसी दिन पूरी करनी चाहिए

 *माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकरण  का नाम : राजेश यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार,  CRA 339-340/2014 Date 6 फरवरी 2022 कोरम: जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश* मैं प्रतिपादित करते हुए कहा कि निचली अदालतों से बोला सुप्रीम कोर्ट- निजी गवाहों से पूछताछ उसी दिन पूरी करें।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देशभर में निचली अदालतों को निजी गवाहों से पूछताछ, जहां तक संभव हो, उसी दिन पूरी करनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसे गवाहों से जिरह की प्रक्रिया अचानक ही बगैर किसी कारण स्थगित करने की प्रवृत्ति का संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बार-बार न्याय मिलने की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए जानबूझकर किए जा रहे प्रयास पर वह आक्रोश व्यक्त करता है और इससे ऐसे हालात पैदा होते हैं जिससे निजी गवाह 'जाहिर कारणों' से विरोधी हो जाते हैं। जस्टिस एस एस कौल और जस्टिस एम. एम. सुंदरेश की एक पीठ ने कहा, 'मुख्य पूछताछ के पूरा होने के बाद लम्बे समय के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है जिससे बचाव पक्ष को विजयी होने में सहायता मिलती है।' 

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'इसलिए हम यह दोहराना उचित समझते हैं कि निचली अदालतों को निजी गवाहों की मुख्य पूछताछ और प्रति परीक्षण, जहां तक संभव हो उसी दिन करना चाहिए।' शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ चार अपीलकर्ताओं की अपील पर यह निर्णय सुनाया। 

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में इन चारों को  2004 में दो व्यक्तियों की गोली मारकर की गई हत्या के मामले में, दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायालय ने इस फैसले की प्रति संबंधित हाई कोर्ट को माध्यम से सभी निचली अदालतों में वितरित करने का आदेश दिया। 

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