Sunday 13 February 2022

आर्टिकल 226 - हाईकोर्ट को सबूतों की फिर से सराहना करने या अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

 आर्टिकल 226 - हाईकोर्ट को सबूतों की फिर से सराहना करने या अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी हाईकोर्ट को न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सबूतों की फिर से सराहना करने और/या अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा स्वीकार किए गए जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इस मामले में अपीलकर्ता एक बैंक में शाखा अधिकारी के पद पर कार्यरत था। उसके खिलाफ बैंक के एक उधारकर्ता द्वारा शिकायत की गई थी कि उसने 1,50,000/- रुपये के ऋण की सीमा स्वीकृत की थी, लेकिन उधारकर्ता ने उसके द्वारा मांगी गई रिश्वत देने से इनकार कर दिया था तो बाद में घटाकर 75,000/- रुपये कर दिया गया था। 

केस: उमेश कुमार पाहवा बनाम निदेशक मंडल उत्तराखंड ग्रामीण बैंक


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