हिंदू विधि के अनुसार, पैतृक संपत्ति और उसमें बंटवारा (partition) होने के बाद उसकी प्रकृति बदल जाती है?
🔹 क्या पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) क्या होती है?
हिंदू कानून के अनुसार, कोई भी संपत्ति जिसे किसी व्यक्ति ने अपने पिता, दादा, परदादा या परपरदादा से उत्तराधिकार (by inheritance) में प्राप्त किया हो और जिसमें चार पीढ़ियों तक का अधिकार हो, तव वह पैतृक संपत्ति कहलाती है।
🔸 बंटवारे के बाद क्या होता है?
जब पैतृक संपत्ति का विधिपूर्वक बंटवारा (partition) हो जाता है, तब:
✅ संपत्ति "पैतृक" नहीं रह जाती।
प्रत्येक हिस्सेदार (coparcener) को मिली संपत्ति उसके लिए स्वतंत्र (self-acquired जैसी) हो जाती है।
अब वह उसे बेच सकता है, दान कर सकता है, वसीयत कर सकता है, या किसी को भी दे सकता है।
उसमें उसके पुत्रों को स्वतः (by birth) कोई अधिकार नहीं होता, जैसा कि पैतृक संपत्ति में होता है।
मान लीजिए:
1. राम के पास एक पैतृक भूमि है।
2. उनके दो पुत्र हैं –पुत्र श्याम और पुत्र मोहन।
3. उन्होंने विधिपूर्वक 3 बराबर हिस्सों में (पिता राम, पुत्र श्याम, पुत्र मोहन) बंटवारा कर दिया।
अब: श्याम और मोहन को मिली संपत्ति उनके लिए पैतृक नहीं, व्यक्तिगत (separate) मानी जाएगी।
उनके बेटे (अगली पीढ़ी) उस हिस्से पर जन्मसिद्ध अधिकार (by birth right) का दावा नहीं कर सकते।
🔸 विशेष ध्यान दें: यदि बंटवारा केवल कागजों पर हुआ है, व्यवहारिक नहीं, तो कानूनी रूप से वह अभी भी पैतृक मानी जा सकती है।
यदि बंटवारा पूरी तरह निष्पादित (effected & accepted) हो चुका है, तो उसका पैतृक स्वरूप समाप्त हो जाता है।
✅ निष्कर्ष:
हिंदू विधि के अनुसार, यदि पैतृक संपत्ति का विधिपूर्वक पूर्ण बंटवारा हो जाए, तो वह अब पैतृक संपत्ति नहीं रह जाती। बंटवारे के बाद मिली संपत्ति निजी संपत्ति (individual property) बन जाती है।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट न्यायद्ष्टांत Angadi Chandranna v. Shankar & Ors. दिनांक 22 अप्रैल 2025 में स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया है कि बंटवारे के बाद पैतृक संपत्ति स्वयं‑अर्जित संपत्ति (self-acquired) बन जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिपादित किया कि संयुक्त हिंदू परिवार (HUF) की संपत्ति का पंजीकृत बंटवारा होने के साथ ही प्रत्येक साझेदार (coparcener) का हिस्सा उसके स्व‑अर्जित संपत्ति में बदल जाता है।
इसके परिणामस्वरूप, वह हिस्सा बिक्रय, दान, या वसीयत किया जा सकता है, बिना किसी और सदस्य की अनुमति के । बंटवारे के बाद संपत्ति पर जन्मजात अधिकार नहीं रहे, और उसे पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट न्यायद्ष्टांत Shashidhar vs. Ashwini Uma Mathad दिनांक 8 जुलाई 2024 में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि: कोई भी संपत्ति जो विरासत या अंतरण के रूप में प्राप्त की जाती है, वह अनिवार्य रूप से coparcenary संपत्ति नहीं बन जाती। इसका अर्थ है, विरासत में मिली संपत्ति स्व‑अर्जित मानी जा सकती है यदि उसकी पारिवारिक रूप से संयुक्त स्वीकार्यता नहीं है ।
✅ निष्कर्ष – पैतृक संपत्ति एवं बंटवारा
1. यदि संपत्ति का कानूनी बंटवारा हो चुका है (पंजीकृत डीड या वादी आदेश द्वारा)
2. तो उस हिस्से को HUF के दायरे से बाहर माना जाता है,
3. और वह उसका मालिकाना हिस्सा स्व‑अर्जित संपत्ति में परिवर्तित हो जाता है—जिस पर पूर्ण स्वायत्तता होती है।
No comments:
Post a Comment