Sunday 20 March 2022

अगर आरोप या सबूत अपराध की स्थापना नहीं करते हैं तो एफआईआर और चार्जशीट रद्द की जा सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

*अगर आरोप या सबूत अपराध की स्थापना नहीं करते हैं तो एफआईआर और चार्जशीट रद्द की जा सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट*

 दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि अगर एफआईआर या शिकायत में लगाए गए आरोप या एकत्र किए गए साक्ष्य किसी अपराध के किए जाने का खुलासा नहीं करते हैं, तो प्राथमिकी और आरोपपत्र को रद्द किया जा सकता है। न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करने या न करने का न्यायालय का निर्णय प्रत्येक मामले के तथ्यों पर आधारित होगा। हालांकि, तथ्यों पर विचार करते हुए, अदालत प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की विश्वसनीयता या वास्तविकता या अन्यथा के रूप में जांच शुरू नहीं कर सकती है। केस का शीर्षक: अभिषेक गुप्ता एंड अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एंड अन्य


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