Sunday, 4 May 2025

138 चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप से भेजा नोटिस मान्य किया जाना बताया

चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप से भेजा नोटिस मान्य किया जाना बताया 

हाई कोर्ट ने इस कंफ्यूजन को किया दूर-

अब तक कई लोगों के बीच संशय बना हुआ था कि ईमेल और व्हाट्सएप से भेजा गया नोटिस (cheque bounce notice rules) मान्य नहीं होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने यह कंफ्यूजन दूर कर दी है। कोर्ट के अनुसार चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप से नोटिस भेजा जाता है तो इसे अमान्य नहीं कहा जा सकता है।

      यह वैध (cheque bounce valid notice) और मान्य होगा, बस वह आईटी एक्ट की धारा 13 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए। अब फोन से व्हाटसएप, ईमेल करके चेक बाउंस का डिमांड नोटिस (demand notice) भेजा जाता है तो वह वैध होगा। 

ई-मेल से भेजे नोटिस को दिया वैध करार-

चेक बाउंस का यह मामला राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (UP govt) से जुड़ा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act) की धारा 138 इस बात को सही मानती है कि कोई लिखित नोटिस है तो वह मान्य होगा। इस धारा में नोटिस कैसे लिखा या टाइप करके किस माध्यम से भेजा, यह नहीं कहा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस आधार पर चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप से भेजे गए नोटिस को वैध व मान्य करार दिया है।

एविडेंस एक्ट की धारा 65 बी का दिया हवाला - 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (how to send cheque bounce notice ) के मामले में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट व आईटी एक्ट में दिए गए प्रावधानों की पड़ताल करके यह निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि आईटी कानून (IT Act) में स्पष्ट किया गया है कि चेक बाउंस के मामले में कोई जानकारी लिखित या टाइप हो और यह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजी जाती है तो इसे सही माना जाएगा, बशर्ते की इसका प्रूफ रखना होगा।

आईटी कानून के सेक्शन 4 और 13 का भी हाईकोर्ट ने इस बात की पुष्टि के लिए हवाला दिया है। इसके अलावा इंडियन एविडेंस एक्ट (Indian Evidence Act) की धारा 65 बी का भी निर्णय सुनाते हुए हवाला दिया। इस धारा में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड स्वीकार करने की बात कही गई है।

राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार

 



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