Saturday 2 February 2019

भूमि अर्जन अधिनियम 1894, धारा 23 (1 ए) व 23(2)- संशोधित उपबध पर विचार

*भूमि अर्जन अधिनियम 1894, धारा 23 (1 ए) व 23(2)- संशोधन*- ब्याज एवं तोषण की रकम- वृद्धि- अभिनिर्धारित- वर्तमान प्रकरण में भूमि 1979 में अर्जित की गई थी- कानून में उपबंधों को 1984 में अंत:स्थापित किया गया था- निर्देश न्यायालय ने 2000 में निर्णय पारित किया जहां 1982 से कार्यवाहियां लंबित थी- *उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि* उपरोक्त परिस्थितियों में निर्देश न्यायालय अधिनियम के संशोधित उपबंध को विचार में लेकर प्रतिकर प्रदान करेगा- अतः निर्देश न्यायालय, ब्याज एवं तोषण को संशोधित उपबंध के अनुसार प्रदान करने के लिए कर्तव्यबद्ध है- दावेदार 15% की वजह 30% की दर से तोषण के हकदार हैं।
*ILR (2017) मध्य प्रदेश 1449* श्रीमती श्याम सिंह व अन्य प्लांट विरुद्ध मध्य प्रदेश राज्य रेस्पोंडेंट

No comments:

Post a Comment