Saturday, 8 November 2025

अपील की सुनवाई से पहले अपीलकर्ता की मृत्यु होने पर उसके पक्ष में पारित डिक्री अमान्य हो जाती है

 सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अपील की सुनवाई से पहले अपीलकर्ता की मृत्यु होने पर उसके पक्ष में पारित डिक्री अमान्य हो जाती है, क्योंकि कानूनी वारिसों को रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया था। नतीजतन, मूल ट्रायल कोर्ट की डिक्री पुनर्जीवित हो जाती है और निष्पादन योग्य हो जाती है, क्योंकि अपील अदालत का फैसला रद्द हो गया है। 

  • अमान्य डिक्री: यदि अपील की सुनवाई से पहले ही अपीलकर्ता की मृत्यु हो जाती है और उसके कानूनी वारिसों को केस में शामिल नहीं किया जाता है, तो अपील पर पारित कोई भी डिक्री अवैध मानी जाएगी।
  • ट्रायल कोर्ट की डिक्री पुनर्जीवित: चूंकि उच्च न्यायालय का फैसला अमान्य है, इसलिए मूल निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) का फैसला ही अंतिम माना जाएगा और वह निष्पादन के लिए उपलब्ध होगा।
  • अधिकारों की रक्षा: इस सिद्धांत का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानूनी वारिसों के अधिकारों की रक्षा हो सके, जिन्हें उचित प्रक्रिया के माध्यम से मुकदमे में शामिल नहीं किया गया था।
  • अदालती आदेश रद्द: इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने निष्पादन अदालत और उच्च न्यायालय के उन आदेशों को रद्द कर दिया, जिन्होंने अमान्य डिक्री को कायम रखा था और निष्पादन की कार्यवाही को बहाल किया। 

Cause Title: SURESH CHANDRA (DECEASED) THR. LRS. & ORS. VERSUS PARASRAM & ORS.


https://hindi.livelaw.in/supreme-court/appeal-fully-abates-if-lrs-of-deceased-party-in-joint-decree-not-substituted-supreme-court-summarises-law-on-suit-abatement-298080

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