Tuesday, 16 September 2025

सिर्फ़ रुपये की बरामदगी रिश्वत नहीं मानी जाएगी, मांग का सबूत ज़रूरी

सिर्फ़ रुपये की बरामदगी रिश्वत नहीं मानी जाएगी, मांग का सबूत ज़रूरी

: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट Praveen Mishra 16 Sept 2025

 हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक वन अधिकारी की बरी होने की सज़ा को बरकरार रखा है, जिस पर ₹3000 रिश्वत मांगने और लेने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ आरोपी के पास रंगे हाथ पकड़े गए नोट मिलना रिश्वत साबित करने के लिए काफ़ी नहीं है, जब तक अवैध मांग और स्वेच्छा से स्वीकार करने का सबूत न हो। जस्टिस सुशील कुक्रेजा ने कहा कि मांग और स्वीकार्यता के अभाव में अभियोजन अपना केस संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा और ट्रायल कोर्ट ने सही ढंग से आरोपी को बरी किया। मामला 2010 का है, जब आरोपी ब्लॉक फॉरेस्ट ऑफिसर के पद पर था। उस पर पेड़ काटने की अनुमति और लकड़ी पर एक्सपोर्ट हैमर लगाने के लिए ₹3000 रिश्वत मांगने का आरोप लगा। विजिलेंस ने ट्रैप बिछाया और आरोपी से नोट बरामद हुए। लेकिन ट्रायल में यह साबित नहीं हुआ कि आरोपी ने रिश्वत मांगी या ली। राज्य ने धारा 7 तथा धारा 13(1)(d) सहपठित धारा 13(2), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत बरी करने के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पाया कि गवाहों ने अभियोजन का साथ नहीं दिया और प्री-ट्रैप व पोस्ट-ट्रैप कार्यवाही से इनकार किया। इस वजह से अभियोजन को कोई लाभ नहीं मिला। अंततः हाईकोर्ट ने बरी को बरकरार रखते हुए आरोपी को ₹50,000 का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की एक जमानत देने का निर्देश दिया।


https://hindi.livelaw.in/himanchal-high-court/recovery-of-money-demand-of-bribery-accused-304154

No comments:

Post a Comment