Thursday 4 May 2023

POCSO एक्ट नाबालिगों के सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों के लिए उन्हें दंडित करने और अपराधी साबित करने के लिए नहीं बना है

 POCSO एक्ट नाबालिगों के सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों के लिए उन्हें दंडित करने और अपराधी साबित करने के लिए नहीं बना है: हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में पॉक्सो से जुड़ा एक केस आया। कोर्ट ने कहा कि नाबालिगों के सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों के लिए उन्हें दंडित करने और अपराधी साबित करने के लिए पॉक्सो कानून नहीं बना है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी पॉक्सो केस में आरोपी को जमानत देते हुए की। मामले में आरोपी 22 साल का एक युवक है, जिसे एक नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि ये सच है कि मामले में पीड़िता नाबालिग थी, लेकिन उसके बयान से प्रथम दृष्टया ये पता चलता है कि संबंध दोनों की सहमति से बने थे। वैसे भी POCSO एक्ट बच्चों को यौन उत्पीड़न के अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है, न कि सहमति से संबंध बनाने वालों को दंडित करने के लिए।

अदालत इमरान शेख नाम के एक युवक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इमरान को मुंबई पुलिस ने एक लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया था। लड़की की मां की शिकायत पर युवक के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। केस के मुताबिक नाबालिग 27 दिसंबर 2020 को घर से निकली थी। दो-तीन दिन अपनी सहेली के यहां रही। चूंकि वो अपने माता-पिता को बताए बिना घर से चली गई थी, इसलिए वो घर लौटने से डर रही थी। आरोप है कि एक रात आरोपी ने नाबालिग लड़की को बिल्डिंग की छत पर बुलाया और उसके साथ जबरन संबंध बनाए।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं, सबूतों को देखा और कहा कि आरोपी 17 फरवरी, 2021 से हिरासत में है। ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हुआ है। बहुत सारे मामले लंबित हैं, इसके देखते हुए कहा जा सकता है कि तत्काल ट्रायल शुरू होने की संभावना नहीं है। आरोपी को और हिरासत में रखने से वो खूंखार अपराधियों के साथ जुड़ जाएगा जो उसके हित के लिए हानिकारक होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने करने का आदेश दिया। 
 कोर्ट ने निम्नलिखित शर्तों पर जमानत दी- 
1. चार सप्ताह की अवधि के लिए रु. 30,000/- का कैश बेल जमा करना होगा, जिसके भीतर उसे रु. 30,000/- की राशि में पीआर बांड प्रस्तुत करना होगा और इतनी ही राशि में एक या दो सॉल्वेंट जमानतदार पेश करनी होगी। 
2. अगले आदेश तक दिंडोशी पुलिस स्टेशन, मुंबई में दो महीने में एक बार महीने के पहले सोमवार को सुबह 11.00 बजे से दोपहर 02.00 बजे के बीच रिपोर्ट करें। 
3. शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों के साथ हस्तक्षेप नहीं करेगा और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा या शिकायतकर्ता को प्रभावित करने या संपर्क करने का प्रयास नहीं करेगा। 
4. ट्रायल कोर्ट को उसके वर्तमान पते और मोबाइल संपर्क नंबर से अवगत कराते रहें। 
प्रतिवेदन - आवेदक की ओर से अधिवक्ता सन्नी आरोन वास्कर, हर्षदा मोरे एवं शमीश मारवाड़ी। एपीपी एस.वी. राज्य के लिए गावंड। 
शिकायतकर्ता के लिए न्यायालय द्वारा नियुक्त एडवोकेट वीरधवल देशमुख 
केस टाइटल: इमरान इकबाल शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य

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