Monday 20 April 2020

चालान पेश करने के उपरांत बगैर मजिस्ट्रेट की अनुमति के दोबारा विवेचना करना कानून का दुरुपयोग है

चार्जशीट के बाद बगैर अनुमति दोबारा विवेचना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग गलत है

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी मामले की विवेचना पूरी कर चार्जशीट दाखिल होने के बाद मजिस्ट्रेट की अनुमति के वगैर दोबारा उसकी विवेचना करना गलत है। पुलिस का ऐसा कार्य कानून में प्राप्त शक्ति का दुरुपयोग है।

यह निर्णय न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल अर्जी को स्वीकारते हुए दिया है। साथ ही दोबारा विवेचना कर दाखिल चार्जशीट और उसके आधार पर मजिस्ट्रेट के तलबी आदेश को भी रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 173(8) में पुलिस को दोबारा जांच का अधिकार है लेकिन यह अधिकार कानूनी प्रकिया का पालन किए वगैर नहीं प्रयोग किया जा सकता। न्यायालय ने निर्णय में कहा कि चार्जशीट पहले दाखिल हो चुकी थी और उसके आधार पर मुकदमे का ट्रायल भी शुरू हो गया। ऐसे में ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट की अनुमति के वगैर पुलिस को दोबारा जांच का आदेश देना शक्ति का दुरुपयोग है। हालांकि न्यायालय ने यह छूट भी दी है कि पुलिस यदि जांच जरूरी समझती है तो कानूनी प्रकिया का पालन करके ऐसा कर सकेगी।
मामले के तथ्यों के अनुसार उमाशंकर कुशवाहा ने देवरिया जिले के बनकटा थाने में एक मुकदमा दरोगा व कई अन्य के खिलाफ इस बात का दर्ज कराया कि वे लोग उसकी सेहन पर कब्जा करने के लिए आए और उसकी पत्नी व दो बेटियों को भाला, लाठी, डंडा, फरसा से घायल कर दिया। छप्पर में आग लगा दी और जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने मामले की जांच कर प्रत्यक्षदर्शियों के बयान को आधार बनाकर आईपीसी की धारा 147,323,504,506 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट दाखिल की। तलबी आदेश के बाद आरोपियों ने हाजिर होकर जमानत भी करा ली। इतनी कार्रवाई होने के बाद उमाशंकर कुशवाहा ने एसपी देवरिया को मामले की फिर से विवेचना बनकटा थाने से हटाकर सलेमपुर थाने से कराने की अर्जी दी। एसपी ने अर्जी पर वैसा ही आदेश कर दिया और पुलिस ने दोबारा जांच करके आईपीसी की धारा 147,149,323,452,435,504 व 506 के तहत चार्जशीट दाखिल कर दी। उसके बाद मजिस्ट्रेट ने नया केस रजिस्टर कर आरोपियों को तलब किया जबकि उन्होंने पहली चार्जशीट के आधार पर जमानत करा ली थी और मुकदमे का विचारण चल रहा था। आरोपियों ने उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर दोबारा दाखिल चार्जशीट व तलबी आदेशों को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने चार्जशीट व तलबी आदेश रद्द कर दिया है।

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