Thursday 5 March 2020

वाहन मालिक का बीमा दावा सिर्फ इसलिए नकारा नहीं जा सकता कि ड्राइवर के पास फर्जी लाइसेंस था : सुप्रीम कोर्ट


*वाहन मालिक का बीमा दावा सिर्फ इसलिए नकारा नहीं जा सकता कि ड्राइवर के पास फर्जी लाइसेंस था : सुप्रीम कोर्ट*
“अगर चालक लाइसेंस दिखाता है, जो देखने में असली लगता हो तो नियोक्ता से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह लाइसेंस की प्रामाणिकता की आगे जांच करे, जब तक उसे अविश्वास का कोई कारण नजर न आता हो।” सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है बीमा कंपनी वाहन मालिक के बीमा दावे को केवल इस आधार पर नकार नहीं सकती कि चालक के पास फर्जी लाइसेंस था। न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने कहा कि *यह साबित करने का दायित्व बीमा कंपनी पर है कि बीमित व्यक्ति ने लाइसेंस की प्रामाणिकता सत्यापित करने के लिए पर्याप्त सावधानी नहीं बरती या उसने बीमा पॉलिसी की शर्तों या बीमा करार का जानबूझकर उल्लंघन किया था।* बेंच शिकायतकर्ता द्वारा एनसीडीआरसी के उस आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई कर रही थी, जिसने बीमा कंपनी को उसकी देयता से वंचित कर दिया था, क्योंकि चालक के लाइसेंस का कोई रिकॉर्ड लाइसेंसिंग प्राधिकरण के पास नहीं था। बेंच ने इस मुद्दे पर विचार किया था कि *चालक को नौकरी पर रखते वक्त नियोक्ता/बीमित व्यक्ति से कितनी सावधानी/ तत्परता की अपेक्षा की जा सकती है?* कोर्ट ने कहा कि "यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम लेहरु एवं अन्य" के मामले में यह व्यवस्था दी गयी थी कि बीमा कंपनी को इस आधार पर अपनी देयता से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास विधिवत लाइसेंस नहीं था। बेंच ने कहा, "ड्राइवर को काम पर रखते वक्त नियोक्ता से यह सत्यापित करने की अपेक्षा की जाती है कि चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस है या नहीं। अगर चालक लाइसेंस दिखाता है, जो देखने में असली लगता हो तो नियोक्ता से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह लाइसेंस की प्रामाणिकता की आगे जांच करे, जब तक उसे अविश्वास का कोई कारण नजर न आता हो। यदि नियोक्ता चालक को वाहन चलाने के लिए सक्षम पाता है और वह इस बात को लेकर संतुष्ट है कि *चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस है तो धारा 14 (2)(ए) (ii) का उल्लंघन नहीं माना जायेगा तथा बीमा कंपनी पॉलिसी के तहत उत्तरदायी होगी।* ड्राइविंग लाइसेंस की सत्यता का पता लगाने के लिए पूरे देश में आरटीओ के साथ पूछताछ करने का दायित्व बीमित व्यक्ति पर देना अनुचित होगा।" न्यायालय ने स्पष्ट किया कि *यदि बीमा कंपनी यह साबित करने में सक्षम रहती है कि मालिक / बीमित व्यक्ति को पता था या उसने यह महसूस किया था कि लाइसेंस फर्जी या अमान्य है, उसके बावजूद उस चालक को गाड़ी चलाने की अनुमति दी है, तब बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं होगी।*

 केस का नाम : *निर्मला कोठारी बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड* केस न.- सिविल अपील संख्या 1999-2000/2020 
कोरम : न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा एवं न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी 
वकील : एडवोकेट जसमीत सिंह (एओआर) 

https://hindi.livelaw.in/category/news-updates/vehicle-owners-insurance-claim-cannot-be-repudiated-merely-because-driver-was-possessing-fake-licence-sc-153498

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