Friday, 6 June 2014

विशेष अधिनियम में कारावास की प्रकृति न दर्शाये जाने पर कारावास की प्रकृति क्या होगी ?

किसी विशेष अधिनियम में अपराध के लिये

दिये जा सकने वाले कारावास की प्रकृति

विनिर्दिष्ट न दर्शाये जाने पर कारावास की

प्रकृति क्या होगी ?


किसी विशेष दाण्डिक अधिनियम में किसी

अपराध के लिये कारावास का प्रावधान हो किंतु

कारावास की प्रकृति विनिर्दिष्टतः वर्णित न हो,

तब ऐसे विशेष अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाये

गये व्यक्ति को किस प्रकृति का कारावास दिया

जाये, यह भ्रम उत्पन्न हो सकता है ।

किंतु ऐसी दशा में यदि हम साधारण खण्ड

अधिनियम, 1897 की धारा 3 (27) में परिभाषित

‘कारावास’ शब्द का अर्थ देखें तो यह स्पष्ट

होता है कि कारावास से अभिप्रेत उस कारावास

से है जो भारतीय दण्ड संहिता में परिभाषित है।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 53 के

अनुसार कारावास कठोर एवं सादा हो सकता है।

इस प्रकार यदि किसी विशेष अधिनियम में किसी

अपराध के लिये कारावास की प्रकृति विनिर्दिष्टत


 न भी दर्शायी गयी हो तब भी ऐसे अधिनियम

के अंतर्गत दोषी पाये गये व्यक्ति को दाण्डिक

न्यायालय अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करते

हुए साधारण या कठोर कारावास की दण्डाज्ञा से

दण्डित कर सकता है ।

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