क्या सत्र न्यायालय किशोर न्यायबोर्ड से
किशोरवयता के संबंध में जाँच प्रतिवेदन
बुलाने की अधिकारिता रखता है?
किशोर न्याय (बालकों के सम्बन्ध में
सावधानी एवं सुरक्षा) अधिनियम, 2006 को
संशोधन अधिनियम क्रमांक 33 वर्ष 2006 द्वारा
(दिनांक 22.8.2006 से प्रभावशीला) संशोधित कर
उसमें धारा 7-। जोड़ी गयी है जो यह प्रावधित
करती है कि जब भी किसी न्यायालय के समक्ष
किसी अभियुक्त द्वारा किशोरवयता का अभिवाक
किया जाता है अथवा न्यायालय को यह लगता
है कि अपराध दिनांक को अभियुक्त किशोरवय
था तो ऐसी दशा में न्यायालय का यह दायित्व
है (The Court shall make an enquiry)
कि वह साक्ष्य के आधार पर ऐसे व्यक्ति की आयु के
विषय में जांच कर यह निष्कर्ष अभिलिखित करे
कि ऐसा व्यक्ति ’किशोरवय’ है अथवा नहीं।
उक्त अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है
जो सत्र न्यायालय ’किशोरवयता’ की जांच स्वयं
न करते हुए इस हेतु किशोर न्याय बोर्ड को
जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिये निर्देश
देने की अधिकारिता प्रदान करता हो।
अतः यह नहीं कहा जा सकता है कि सत्र
न्यायालय किशोर न्याय बोर्ड से अभियुक्त की
’किशोरवयता’ के सम्बंध में प्रतिवेदन बुलाने की
अधिकारिता रखता है।
किशोरवयता के संबंध में जाँच प्रतिवेदन
बुलाने की अधिकारिता रखता है?
किशोर न्याय (बालकों के सम्बन्ध में
सावधानी एवं सुरक्षा) अधिनियम, 2006 को
संशोधन अधिनियम क्रमांक 33 वर्ष 2006 द्वारा
(दिनांक 22.8.2006 से प्रभावशीला) संशोधित कर
उसमें धारा 7-। जोड़ी गयी है जो यह प्रावधित
करती है कि जब भी किसी न्यायालय के समक्ष
किसी अभियुक्त द्वारा किशोरवयता का अभिवाक
किया जाता है अथवा न्यायालय को यह लगता
है कि अपराध दिनांक को अभियुक्त किशोरवय
था तो ऐसी दशा में न्यायालय का यह दायित्व
है (The Court shall make an enquiry)
कि वह साक्ष्य के आधार पर ऐसे व्यक्ति की आयु के
विषय में जांच कर यह निष्कर्ष अभिलिखित करे
कि ऐसा व्यक्ति ’किशोरवय’ है अथवा नहीं।
उक्त अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है
जो सत्र न्यायालय ’किशोरवयता’ की जांच स्वयं
न करते हुए इस हेतु किशोर न्याय बोर्ड को
जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिये निर्देश
देने की अधिकारिता प्रदान करता हो।
अतः यह नहीं कहा जा सकता है कि सत्र
न्यायालय किशोर न्याय बोर्ड से अभियुक्त की
’किशोरवयता’ के सम्बंध में प्रतिवेदन बुलाने की
अधिकारिता रखता है।
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