क्या भाड़ाक्रय करार के अंतर्गत वाहन
की खरीद किये जाने एवं किश्तों की
राशि का नियमित भुगतान न करने
पर धारा 406, 420 भारतीय दण्ड संहिता
के अंतर्गत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध
किया जाना उचित होगा ?
संविदा के प्रतिबंधों का पालन न किया जाना
व्यवहारिक दायित्व का उल्लंघन है एवं उल्लघंन
करने वाले पक्ष के विरूद्ध अपराधिक
प्रकरण कायम किया जाना तब तक उचित
नहीं होगा जब तक कि परिवादी द्वारा प्रथम
दृष्टया यह न दर्शा दिया जाए कि दूसरे
पक्ष द्वारा कपटपूर्ण तरीके से पीडित पक्ष को
संपत्ति प्रदान करने हेतु प्रलोभित किया गया
था । इस प्रकार जानबूझकर किए गए मिथ्या
निरूपण के अवयव प्रथम दृष्टया पाए जाने
पर ही उस पक्षकार के विरूद्ध अपराधिक
प्रकरण पंजीबद्ध किया जा सकेगा जिसने
भाड़ाक्रय की संविदा के प्रतिबंधों का उल्लंघन
किया था । उक्त आशय का मत माननीय
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एल्पिक फायनेस
लिमिटेड विरूद्ध पी. सदाशिवन एवं अन्य,
2001 सी.आर.एल.जे. 217 में (सु.को.)
अभिव्यक्त किया गया है ।
की खरीद किये जाने एवं किश्तों की
राशि का नियमित भुगतान न करने
पर धारा 406, 420 भारतीय दण्ड संहिता
के अंतर्गत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध
किया जाना उचित होगा ?
संविदा के प्रतिबंधों का पालन न किया जाना
व्यवहारिक दायित्व का उल्लंघन है एवं उल्लघंन
करने वाले पक्ष के विरूद्ध अपराधिक
प्रकरण कायम किया जाना तब तक उचित
नहीं होगा जब तक कि परिवादी द्वारा प्रथम
दृष्टया यह न दर्शा दिया जाए कि दूसरे
पक्ष द्वारा कपटपूर्ण तरीके से पीडित पक्ष को
संपत्ति प्रदान करने हेतु प्रलोभित किया गया
था । इस प्रकार जानबूझकर किए गए मिथ्या
निरूपण के अवयव प्रथम दृष्टया पाए जाने
पर ही उस पक्षकार के विरूद्ध अपराधिक
प्रकरण पंजीबद्ध किया जा सकेगा जिसने
भाड़ाक्रय की संविदा के प्रतिबंधों का उल्लंघन
किया था । उक्त आशय का मत माननीय
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एल्पिक फायनेस
लिमिटेड विरूद्ध पी. सदाशिवन एवं अन्य,
2001 सी.आर.एल.जे. 217 में (सु.को.)
अभिव्यक्त किया गया है ।
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