दो
वाहनों
में
आपसी
टक्कर
पर
दावाकर्ता
किसी
भी
एक
वाहन
के
चालक,
स्वामी,
बीमाकंपनी
के
विरूद्ध
दावा
लाने
के
स्वतंत्र
-
अनावेदक क्र.3 की ओर से यह आपत्ति की गयी हैं कि ट्रैक्टर के स्वामी, चालक एवं बीमा कंपनी प्रकरण में आवष्यक पक्षकार थे, लेकिन पूर्वोक्त विष्लेषण के क्रम में ट्रैक्टर चालक की कोई लापरवाही प्रमाणित नहीं हुयी है। ऐसी स्थिति में उक्त तीनों को प्रकरण के लिये आवष्यक पक्षकार नहीं माना जा सकता है। यदि तर्क के लिये मामला योगदायी उपेक्षा का मान भी लिया जाये तो भी उक्त आपत्ति विधि सम्मत नहीं है, क्योंकि माननीय म.प्र.उच्च न्यायालय द्वारा सुशीला भदौरिया आदि बनाम म.प्र.स्टेट रोड़ ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन एवं एक अन्य, 2005 ए.सी.जे. 831 पूर्णपीठ के मामले में यह सुस्पष्ट विधिक अभिनिर्धारण किया गया है कि जहा दो वाहनों की आपस की टक्कर हुई हो वहा दावाकर्ता किसी एक वाहन के चालक, स्वामी तथा बीमा कंपनी के विरूद्ध याचिका प्रस्तुत करने के लिये स्वतंत्र है। उक्त परिप्रक्ष्य में यह नहीं कहा जा सकता कि दुर्घटना में संलिप्त बताये जाने वाले दूसरे वाहन के स्वामी तथा बीमाकर्ता इस मामले के लिये आवश्यक पक्षकार थे अथवा मामले में पक्षकारों के असंयोजन का दोष है।
अनावेदक क्र.3 की ओर से यह आपत्ति की गयी हैं कि ट्रैक्टर के स्वामी, चालक एवं बीमा कंपनी प्रकरण में आवष्यक पक्षकार थे, लेकिन पूर्वोक्त विष्लेषण के क्रम में ट्रैक्टर चालक की कोई लापरवाही प्रमाणित नहीं हुयी है। ऐसी स्थिति में उक्त तीनों को प्रकरण के लिये आवष्यक पक्षकार नहीं माना जा सकता है। यदि तर्क के लिये मामला योगदायी उपेक्षा का मान भी लिया जाये तो भी उक्त आपत्ति विधि सम्मत नहीं है, क्योंकि माननीय म.प्र.उच्च न्यायालय द्वारा सुशीला भदौरिया आदि बनाम म.प्र.स्टेट रोड़ ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन एवं एक अन्य, 2005 ए.सी.जे. 831 पूर्णपीठ के मामले में यह सुस्पष्ट विधिक अभिनिर्धारण किया गया है कि जहा दो वाहनों की आपस की टक्कर हुई हो वहा दावाकर्ता किसी एक वाहन के चालक, स्वामी तथा बीमा कंपनी के विरूद्ध याचिका प्रस्तुत करने के लिये स्वतंत्र है। उक्त परिप्रक्ष्य में यह नहीं कहा जा सकता कि दुर्घटना में संलिप्त बताये जाने वाले दूसरे वाहन के स्वामी तथा बीमाकर्ता इस मामले के लिये आवश्यक पक्षकार थे अथवा मामले में पक्षकारों के असंयोजन का दोष है।
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