स्कूली बस के संचालन के संबध में मान्नीय उच्च न्यायालय के दिशा निर्देश-
मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा-2-47 के अनुसार एक शैक्षिक संस्थान बस एक परिवहन वाहन है और इसलिए सडक पर इसके परिवहन के लिए एक परमिट की आवश्यकता है ।
यह परमिट बिना फिटनेस टेस्ट के हर साल इसका नवीनी करण नहीं होना चाहिए।
इसके लिए स्कूल बसों के चालको को यातायात अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि वह विधि अनुसार कार्यवाही करें । इसलिए मान्नीय उच्चतम न्यायालय द्वारा बच्चो को ले जाने संबंधी स्कूल बसो की सुरक्षा के संबंध में कुछ दिशा निर्देश निर्धारित किये गये है जो निम्नलिखित है-
1- स्कूल बसों में पीले रंग चित्रित किया जाना चाहिए।
2- स्कूल बस वापस और बस के मोर्चे पर लिखा होना चाहिए। यह बस काम पर रखा जाता है तो स्कूल ड्यूटी पर स्पष्ट रूप से संकेत दिया जाना चाहिए।
3- बस एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स होना चाहिए।
4- बस निर्धारित मानक की गति राज्यपाल केसाथ सुसज्जित किया जाना चाहिए।
5- बस की खिडकियां क्षैतिज ग्रिल्स के साथ सुजज्ति किया जाना चाहिए।
6- बस में एक आग बुझाने की कल होना चाहिए।
7- स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बस पर लिखा होना चाहिए।
8- बस के दरवाजे विश्वसनीय ताले के साथ सुसज्जित किया जाना चाहिए।
9- सुरक्षित रूप से स्कूल बेग रखने के लिए सीटों के नीचे फिट स्थान नहीं होना चाहिए
10- बच्चो को भाग लेने के लिए बस में एक योग्य परिचर होना चाहिए।
11- बस या एक शिक्षक में बैंठे किसी भी माता पिता या अभिभावक भी इन सुरक्षा नियमों को सुनिश्चित करने के लिए यात्रा कर सकते हैं ।
12- चालक भारी वाहनों ड्रायविंग के अनुभव के कम से कम 5 साल होनी चाहिए।
13- लाल बत्ती कूद लेन अनुशासन का उल्लंघन या अनधिकृत व्यक्ति को ड्रायवर के लिए अनुमति देता है । जैसे अपराधो के लिए एक वर्ष में दो बार से अधिक चालान किया गया है जो एक ड्रायवर नियोजित नहीं किया जा सकता ।
14- अधिक तेजी, शराबी ड्राइविंग और खतरनाक ड्राइविंग आदि के अपराध के लिए एक बार भी चालान किया गया है जो एक ड्राइवर नियोजित नहीं किया जा सकता।
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