बालक या विधि के विरोध में, किशोर से
संबंधित आपराधिक प्रकरण में किस प्रकार
की साक्ष्य से आयु का निर्धारण किया
जाएगा ?
किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण
अधिनियम, 2000 की धारा 7-ए के अन्तर्गत
किसी न्यायालय द्वारा एवं धारा 49 (1) के
संबंधित आपराधिक प्रकरण में किस प्रकार
की साक्ष्य से आयु का निर्धारण किया
जाएगा ?
किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण
अधिनियम, 2000 की धारा 7-ए के अन्तर्गत
किसी न्यायालय द्वारा एवं धारा 49 (1) के
अन्तर्गत किशोर न्यायबोर्ड द्वारा आयु का
निर्धारण करने संबंधी जाँच में विचार में ली जाने
योग्य साक्ष्य के संबंध में दिनांक 26.10.2007 से
प्रभावशील हुए केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्मित
न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण )
नियम,निर्धारण करने संबंधी जाँच में विचार में ली जाने
योग्य साक्ष्य के संबंध में दिनांक 26.10.2007 से
प्रभावशील हुए केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्मित
न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण )
2007 का नियम 12 महत्वूपर्ण है जिसके अनुसार
न्यायालय या बोर्ड, जैसा भी प्रकरण हो, का
कर्तव्य है कि ऐसे बालक या विधि के विरोध में
किशोर की आयु का निर्धारण इस हेतु प्रस्तुत
आवेदन पत्र की तिथि से 30 दिवस की अवधि
में करें।
न्यायालय या बोर्ड से यह भी अपेक्षित है कि
आयु निर्धारण हेतु जाँच के लिये वह निम्नानुसार
साक्ष्य प्राप्त करेंः-
प्रथमतः मैटिंकुलेशन या समतुल्य प्रमाण पत्र,
यदि उपलब्ध हो एवं उसके अभाव में
द्वितीयतः प्ले स्कूल को छोड़कर ऐसे स्कूल द्वारा
प्रदत्त जन्म प्रमाण पत्र जिसमें सर्वप्रथम भाग
लिया गया हो, एवं उसके अभाव में
तृतीयतः निगम या म्युन्सिपल प्राधिकारी या
पंचायत द्वारा प्रदत्त जन्म प्रमाण पत्र
चतुर्थतः उक्त वर्णित किसी भी प्रकार की साक्ष्य
के अभाव में ही विधिवत गठित हुए चिकित्सा
बोर्ड से चिकित्सकीय मत लिया जाएगा जो ऐसे
किशोर या बालक की आयु की घोषणा करेगा
किन्तु यदि चिकित्सकीय मत से किशोर या
बालक की आयु का निश्चित निर्धारण नहीं किया
जा सकता हो तब न्यायालय या बोर्ड, यदि
उचित समझे, संबंधित किशोर या बालक की
आयु को एक वर्ष की सीमा में नीचे की ओर
मानते हुए उसे लाभ दे सकता हैं।
उक्त नियम के अनुसार आयु के उक्त वर्णित
प्रमाण इस अधिनियम की प्रयोज्यता हेतु आयु के
निश्चयात्मक प्रमाण होंगे।
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