Friday, 28 March 2014

पट्टे की भूमि का विक्रय

                                           पट्टे की भूमि का विक्रय


1.    इस संबंध में न्यायदृष्टांत सबीना पार्क रिसोर्ट बनाम मध्यप्रदेश राज्य आई.एल.आर. 2012 एम.पी.365 मे प्रतिपादित किया है कि ’’ यदि पट्टे की भूमि को बेचने की कलेक्टर से अनुमति प्राप्त नहीं की गई है, तब दस वर्ष बाद भी उपबंधों के उल्लंघन में इसे बेचा नहीं जा सकता है, यदि कलेक्टर की अनुमति प्राप्त नहीं की गई है, तो उक्त विक्रय का अंतरण प्रारंभतः शून्य है। ’’
 
2.    सबीना पार्क वाले मामले में माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश ने धारा 165(6)(बी) व 165(7)(बी) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के तहत उक्त मामले में यह अभिनिर्धारित किया है कि पट्टे की भूमि, जो शासन द्वारा पट्टेधारी को दी गयी है, उसे भूमिस्वामी के अधिकार उत्पन्न हो जाने के बाद भी बिना जिला कलेक्टर की अनुमति के विक्रय नहीं की जा सकती है। इस संबंध में न्यायदृष्टांत  मुलायमसिंह एवं अन्य बनाम बुधुवा चमार एवं अन्य 2002 राजस्व निर्णय 250 उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश भी अवलोकनीय है। 

3.    अपीलार्थीगण की ओर से न्यायदृष्टांत बलवंत एवं अन्य बनाम दौलत व अन्य ए.आई.आर. 1997 सु.को. 2719 मे बताया है कि राजस्व रिकार्ड में इंद्राज होने मात्र से विधिक स्थिति के विपरीत स्वत्व माना जाना गलत है। यह सही है कि राजस्व रिकार्ड में जो इंद्राज है, वह फिजीकल इंट्री होती है, उनके आधार पर स्वामित्व का निराकरण नहीं हो सकता है।
   
   

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