Monday, 13 January 2020

'केवल सहानुभूति ही उपचार नहीं दे सकती', सुप्रीम कोर्ट ने 'अनिच्छा' से हाईकोर्ट के अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को रद्द किया

'केवल सहानुभूति ही उपचार नहीं दे सकती', सुप्रीम कोर्ट ने 'अनिच्छा' से हाईकोर्ट के अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को रद्द किया केवल सहानुभूति ही उपचार नहीं दे सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर 'अनिच्छा' जताई जिसमें एक बैंक को अपने मृत कर्मचारी के बेटे द्वारा दायर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था। दरअसल जगदीश राज ने इंडियन बैंक में क्लर्क के रूप में काम किया था जहां वो अपने निधन तक काम कर रहे थे। बाद में, जगदीश राज के निधन के कारण अनुकंपा के आधार पर रोजगार पाने के लिए बेटे की ओर से एक आवेदन दायर किया गया था। संबंधित योजना में यह प्रावधान किया गया कि यदि आश्रितों ने सेवा में रहते हुए मारे गए कर्मचारी की सेवा की अवधि के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का विकल्प चुना है तो कोई अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इस मामले में आश्रितों ने ग्रेच्युटी का लाभ उठाया था। इसलिए बैंक ने आवेदन को खारिज कर दिया।

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