माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील नंबर 4527 /2009 पूनाराम विरुद्ध मोतीराम आदि के प्रकरण में 29 जनवरी 2019 को अभिनिर्धारित किया गया की :-
राजस्थान के पुनाराम बाड़मेर निवासी व्यक्ति ने वर्ष 1966 में एक जमीदार से भूमि खरीदी जो एक जगह नहीं होकर अलग-अलग जगह पर थी। जब उस जमीन के मालिकाना हक की बात हुई तो पता चला कि उस भूमि पर दूसरे व्यक्ति मोतीराम नाम के दूसरे आदमी का कब्जा है, जिसके पास कोई स्वामित्व संबंधी दस्तावेज डॉक्यूमेंट नहीं था। तब पूनाराम ने लोवर कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किया और कब्जा प्राप्त करने का निवेदन किया, वर्ष 1972 में ट्रायल कोर्ट द्वारा पूनाराम के हक में फैसला करते हुए उसको जमीन देने का निर्णय लिया गया, जिसकी अपील हाई कोर्ट में कर इस फैसले को चैलेंज किया गया हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को बदल दिया तथा पुनाराम के कब्जे को नहीं हटाने का निर्णय दिया गया। माननीय उच्चतम न्यायालय में इसकी अपील किए जाने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा मत दिया कि पूनाराम की भूमि पर कब्जा करने वाले को ताकत से हटाया जा सकता है, इसके लिए कोर्ट केस करने की जरूरत नहीं है। अगर प्रॉपर्टी आपके टाइटल नाम से ना हो या कब्जे को 12 साल या उससे ज्यादा हो गए हैं तो आपको कोर्ट केस करना होगा तभी कब्जा प्राप्त किया जा सकता है।
इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह भी व्यक्त किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के क्लियर टाइटल स्वामित अर्थात नाम वाली प्रॉपर्टी पर कब्जा करता है चाहे कब्जा 12 साल से ज्यादा का ही क्यों ना हो मालिक वही व्यक्ति रहेगा जिसके नाम प्रॉपर्टी भूमि है कब्जा करने वाला व्यक्ति मालिक नहीं बनेगा ऐसे में प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वाले व्यक्ति को उसका मालिक बलपूर्वक खाली करा सकता है दिया गया है।
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