*छल के मामले में मात्र समझौते के आधार पर मामला अभिखंडित नहीं किया जा सकता है*
*दंड प्रक्रिया संहिता धारा 482 एवं दंड संहिता धारा 420, 467, 468 व 471- आरोपों का अभिखंडित किया जाना - समझौता - अभिनिर्धारित -* विचारण की वर्तमान स्थिति के अनुसार 20 साक्षीयो में से 16 साक्षी गण का पहले ही परीक्षण किया जा चुका है, अतः विचारण एक उन्नयन प्रक्रम पर पहुंच चुका है - इस उन्नयन प्रक्रम पर समझौते के आधार पर कार्यवाहियां अभिखण्डित नहीं की जा सकती - विचारण के उन्नयन प्रक्रम के अलावा, अभीकथनों के अनुसार अभियुक्त ने परिवादी से न केवल छल किया है बल्कि अन्य की भूमि विक्रय करने का प्रयास करके अभियुक्त ने अन्य व्यक्तियों के साथ भी छल करने का प्रयास किया है जो कि साक्षी गण के रूप में वर्णित है तथा उक्त साक्षी गण एवं अभियुक्त गण के मध्य किसी समझौते के बिना, संपूर्ण कर्यवाहियां मात्र इस आधार पर अभिखंडित नहीं की जा सकती की प्रथम सूचना देने वाले व्यक्ति ने अभियुक्त गण के साथ अपने विवादों का निपटारा कर लिया है - याचिका खारिज की गई।
हाजी नन्हे खान विरुद्ध मध्य प्रदेश राज्य, ILR 69 मध्य प्रदेश 2017
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