अनुशासनिक प्राधिकारी - साक्ष्य का मूल्यांकन - अभिनिर्धारित - विभाग द्वारा एवं अपचारी द्वारा अभिलेख पर लाई गई सामग्री का मूल्यांकन एवं निर्धारण, अनन्य रूप से अनुशासनिक प्राधिकारी के कार्य क्षेत्र के भीतर है और उसमें त्रुटि नहीं निकाली जा सकती जब तक कि प्राधिकारी द्वारा निकाले गए निष्कर्ष निम्न दोसो से ग्रसित न हो (1) अधिकारिता, (2) दृष्टिकोण की विपर्यस्तता, जब निष्कर्ष अभिलिखित करते समय सुसंगत सामग्री को अनदेखा किया और असंगत सामग्री को विचार में लिया गया है, (3) प्राधिकारी द्वारा निकाले गए निष्कर्ष ऐसे हैं जिन पर कोई सामान्य प्रज्ञावान व्यक्ति नहीं पहुंचता, तथा (4) ,वेडन सबरी युक्तियुक्ता के सिद्धांत को लागू करते हुए निष्कर्षों में सद्भावना का अभाव है।
राजेंद्र सिंह कुशवाह विरुद्ध मध्य प्रदेश राज्य, 1086 ILR 2017 मध्यप्रदेश
राजेंद्र सिंह कुशवाह विरुद्ध मध्य प्रदेश राज्य, 1086 ILR 2017 मध्यप्रदेश
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