शून्यकरणीय विवाह कोन शुन्य करा सकता हे
हिंदू विवाह अधिनियम धारा 5(3) एवं 12 (1) सी - बाल विवाह - विवाह का बातिलीकरण - पति ने विवाह की अकृत एवं शुन्य होने की घोषणा चाहते हुए इस आधार पर वाद प्रस्तुत किया कि विवाह के समय उसकी पत्नी 18 वर्ष की आयु से कम थी तथा विवाह धमकी एवं दबाव में संपन्न हुआ था - वाद डिक्तित किया गया था तथा उच्च न्यायालय द्वारा आगे पुष्टि की गई थी- को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई - अभिनिर्धारित- विवाह के समय अवयस्क पति या पत्नी के विकल्प पर बाल विवाह शुन्यकरणीय है - धारा 12 (1) सी यह स्पष्ट करती है कि केवल अवयस्क पति या पत्नी को विवाह का बातिलीकरण चाहने का अधिकार है - यह स्वीकार किया गया कि विवाह के समय पति वयस्क था कपट एवं प्रपीडन के आधार पर विवाह का वातलीकरण चाह रहा था जहां पत्नी की आयु, पति द्वारा उठाए गए आधारों में से एक थी - मामला नए सिरे से विचार किए जाने हेतु उच्च न्यायालय को प्रति प्रेषित किया गया। अपील निराकृत की गई।
*भगवती उर्फ रीना विरुद्ध अनिल चौबे आईएलआर 2017 मध्य प्रदेश 1289 सुप्रीम कोर्ट*
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