साक्ष्य के सख्त नियम विभागीय जांच पर लागू नहीं होते: सुप्रीम कोर्ट ने केस डायरी को रिकॉर्ड में रखने की अनुमति दी सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने माना है कि सबूत के सख्त नियम विभागीय जांच पर लागू नहीं होते हैं। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई ने उक्त विचार के साथ, उत्तराखंड के एक अतिरिक्त जिला जज को अनुमति दी कि वह केस डायरी का रिकॉर्ड सामने रखे। अतिरिक्त जिला जज एक विभागीय जांच का सामना कर रहे हैं। याचिकाकर्ता-एडीजे ने जांच अधिकारी के समक्ष कुछ दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर रखने के लिए 24 नंवबर, 2020 को एक आवेदन दायर किया था, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि प्रेजेंटिंग ऑफिसर ने दस्तावेजों का यह कहते हुए समर्थन किया कि वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 85ए और 85बी के मद्देनजर स्वीकार योग्य नहीं है। कारण शीर्षक: कंवर अमनिंदर सिंह बनाम माननीय उत्तराखंड हाईकोर्ट, नैनीताल अपने रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से
माननीय महोदय कृपया इस संबंध में अगले ब्लॉग में बताइएगा जब अभियुक्त जो की एकमात्र अभियुक्त है या सह अभियुक्त है लम्बित किसी प्रकरण में वह खत्म हो जाता है तो क्या प्रावधान दिए गए हैं विधि मैं
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