*परिवीक्षा का लाभ पाने वाले दोषी को दोषसिद्धि के कारण कोई अयोग्यता नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट*
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई कोर्ट दोषसिद्धि की पुष्टि करता है, लेकिन अच्छे आचरण के आधार पर परिवीक्षा (Probation) का लाभ देता है तो वह परिणामी लाभ से इनकार नहीं कर सकता है, जो कि दोषसिद्धि से जुड़ी अयोग्यता, यदि कोई हो, को हटाना है। वर्तमान मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1806 (IPC) की धारा 399 और 402 के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 3/25 और 4/25 के तहत दोषसिद्धि की गई। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने IPC के तहत दोषसिद्धि खारिज कर दी।
शस्त्र अधिनियम के तहत अपराधों के लिए न्यायालय ने दोषसिद्धि बरकरार रखी। फिर भी इसने अपराधियों की परिवीक्षा अधिनियम, 1958 की धारा 4 का लाभ दिया। उन्हें तुरंत सजा सुनाने के बजाय अदालत ने दोषी को 2 साल के लिए जमानत पर रिहा कर दिया। अपीलकर्ता को उसकी दोषसिद्धि के कारण सार्वजनिक रोजगार से वंचित कर दिया गया तो उसने हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया, जिसमें यह घोषित करने की मांग की गई कि उसे कोई अयोग्यता नहीं दी गई, क्योंकि उसे परिवीक्षा का लाभ दिया गया। उसने धारा 4 का लाभ दिए जाने के परिणामस्वरूप धारा 12 का लाभ मांगा। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि दोषसिद्धि आदेश पारित करने के बाद यह पदेन हो गया और अपने आदेश पर पुनर्विचार नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने इस सीमित प्रश्न पर इस मुद्दे का फैसला किया कि क्या अच्छे आचरण के लिए परिवीक्षा का लाभ दिए जाने के बाद, परिणामी लाभ से इनकार किया जा सकता है। सकारात्मक उत्तर देते हुए न्यायालय ने कहा: "इसके अवलोकन से हमें इस बात में कोई संदेह नहीं कि जब किसी व्यक्ति को दोषी पाया जाता है तो उसे अपराधियों की परिवीक्षा अधिनियम की धारा 3 या 4 का लाभ दिया जाता है तो उसे ऐसे कानून के तहत अपराध के लिए दोषसिद्धि से जुड़ी अयोग्यता, यदि कोई हो, का सामना नहीं करना पड़ेगा।" न्यायालय ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि हाईकोर्ट ने छह अन्य दोषी व्यक्तियों को भी अच्छे आचरण पर परिवीक्षा का लाभ दिया। हालांकि उन्होंने धारा 12 के तहत लाभ का दावा नहीं किया। समानता को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने अन्य सभी दोषियों को समान लाभ देना अनिवार्य पाया।
केस टाइटल: अमित सिंह बनाम राजस्थान राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 1134-1135/2023)
https://hindi.livelaw.in/supreme-court/convict-given-benefit-of-probation-wont-suffer-any-disqualification-due-to-conviction-supreme-court-280708
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