Sunday, 21 September 2025

म.प्र. हाई कोर्ट ने शिवपुरी श्री विवेक शर्मा प्रथम सेशन जज के खिलाफ की विभागीय जांच की सिफारिश की

भ्रष्टाचार मामले में म.प्र. हाई कोर्ट ने शिवपुरी श्री विवेक शर्मा प्रथम सेशन जज के खिलाफ की विभागीय जांच की सिफारिश की

 मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सेशन जज के खिलाफ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। अदालत ने पाया कि जज ने ज़मीन अधिग्रहण कार्यालय में कार्यरत सरकारी कंप्यूटर ऑपरेटर जिस पर 5 करोड़ रुपये की सार्वजनिक धनराशि गबन करने का आरोप है, उनके खिलाफ गंभीर धाराओं को नज़रअंदाज़ कर केवल हल्की धारा कायम रखी, जिससे उसे अनुचित लाभ मिला। जस्टिस राजेश कुमार गुप्ता की पीठ ने आदेश दिया कि इस मामले की प्रति प्रिंसिपल रजिस्ट्रार (विजिलेंस), हाईकोर्ट ऑफ़ मध्यप्रदेश, जबलपुर को भेजी जाए और माननीय चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत की जाए ताकि संबंधित सेशन जज (विवेक शर्मा, प्रथम एडिशनल सेशन जज शिवपुरी) के खिलाफ जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुमति ली जा सके। 

यह मामला शिवपुरी ज़िले में ज़मीन अधिग्रहण के मुआवज़े से जुड़े धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग से संबंधित है। आरोप है कि कंप्यूटर ऑपरेटर रूपसिंह परिहार ने फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर 5.10 करोड़ रुपये अपनी निजी खातों में ट्रांसफ़र कर लिए। राज्य की ओर से यह भी बताया गया कि आरोपी ने राजस्व अभिलेखों में आग लगाई, जिस पर अलग से FIR दर्ज की गई। अदालत ने गौर किया कि मामले में यह दिखाने का कोई सबूत नहीं है कि वास्तव में आवेदक की ज़मीन सरकार ने अधिग्रहित की थी, जिसके एवज़ में उसे इतनी बड़ी राशि मिलती। बावजूद इसके सेशन जज ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409, 420, 467, 468 और 471 समेत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं को हटाकर केवल IPC की धारा 406 (आपराधिक न्यासभंग) कायम रखी। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि यह प्रतीत होता है कि प्रथम अडिशनल सेशन जज ने जानबूझकर केवल IPC की धारा 406 के अंतर्गत आरोप कायम किया ताकि आवेदक को ज़मानत का अनुचित लाभ मिल सके। हाईकोर्ट ने अंततः आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज कर दी और मामले को चीफ जस्टिस के पास विभागीय कार्रवाई के लिए भेज दिया।


https://hindi.livelaw.in/madhya-pradesh-high-court/madhya-pradesh-high-court-justice-rajesh-kumar-gupta-embezzlement-of-public-money-gwalior-bench-304367

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