Article 22(1) | गिरफ्तारी के बारे में रिश्तेदारों को सूचित करना, गिरफ्तारी के आधार के बारे में गिरफ्तार व्यक्ति को सूचित करने के कर्तव्य का अनुपालन नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी के बारे में व्यक्ति के रिश्तेदारों को सूचित करने से पुलिस या जांच एजेंसी को गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करने के अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्व से छूट नहीं मिलती। अदालत ने कहा, "गिरफ्तार व्यक्ति की रिश्तेदार (पत्नी) को गिरफ्तारी के आधार के बारे में बताना अनुच्छेद 22(1) के आदेश का अनुपालन नहीं है।" इसके अलावा, कोर्ट ने राज्य के इस दावे को खारिज कर दिया कि रिमांड रिपोर्ट, गिरफ्तारी ज्ञापन और केस डायरी में गिरफ्तारी के बारे में विस्तृत जानकारी देना संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार प्रदान करने के संवैधानिक आदेश का पर्याप्त रूप से अनुपालन करता है। कोर्ट ने बताया कि ये दस्तावेज केवल गिरफ्तारी के तथ्य को दर्ज करते हैं, इसके पीछे के कारणों को नहीं। अदालत ने कहा, "रिमांड रिपोर्ट में गिरफ्तारी के आधार का उल्लेख करना, गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करने की आवश्यकता का अनुपालन नहीं है।" अदालत ने कहा, "हाईकोर्ट के समक्ष (राज्य द्वारा) लिया गया रुख यह था कि अपीलकर्ता की पत्नी को गिरफ्तारी के बारे में सूचित किया गया। गिरफ्तारी के बारे में जानकारी गिरफ्तारी के आधार से पूरी तरह से अलग है। गिरफ्तारी के आधार गिरफ्तारी ज्ञापन से अलग हैं। गिरफ्तारी ज्ञापन में गिरफ्तार व्यक्ति का नाम, उसका स्थायी पता, वर्तमान पता, FIR और लागू धारा का विवरण, गिरफ्तारी का स्थान, गिरफ्तारी की तारीख और समय, आरोपी को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी का नाम और उस व्यक्ति का नाम, पता और फोन नंबर शामिल है, जिसे गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी गई। हमने वर्तमान मामले में गिरफ्तारी ज्ञापन का अवलोकन किया। इसमें केवल ऊपर बताई गई जानकारी है, न कि गिरफ्तारी के आधार। गिरफ्तारी के बारे में जानकारी गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी से पूरी तरह से अलग है। गिरफ्तारी की सूचना मात्र से गिरफ्तारी के आधार प्रस्तुत नहीं किए जा सकते।" अदालत ने आगे कहा, “इस संबंध में 10 जून 2024 को शाम 6.10 बजे केस डायरी की प्रविष्टि पर भरोसा किया गया, जिसमें दर्ज है कि अपीलकर्ता को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित करने के बाद गिरफ्तार किया गया। यह हाईकोर्ट के समक्ष और साथ ही इस न्यायालय में प्रथम प्रतिवादी के उत्तर में दलील नहीं दी गई थी। यह एक बाद का विचार है। हाईकोर्ट और इस कोर्ट के समक्ष दायर उत्तर में लिए गए रुख को देखते हुए केवल पुलिस डायरी में एक अस्पष्ट प्रविष्टि के आधार पर हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि अनुच्छेद 22(1) के अनुपालन का अनुमान लगाया जा सकता है। कोई भी समकालीन दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं रखा गया, जिसमें गिरफ्तारी के आधारों का उल्लेख किया गया हो। इसलिए डायरी प्रविष्टियों पर भरोसा करना पूरी तरह से अप्रासंगिक है।”
केस टाइटल: विहान कुमार बनाम हरियाणा राज्य और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 13320/2024
https://hindi.livelaw.in/supreme-court/article-221-informing-relatives-about-arrest-isnt-compliance-of-duty-to-inform-arrestee-of-grounds-of-arrest-supreme-court-283328
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