जमानत के निरस्त करने के बारे में
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- धारा 439 (2) दण्ड प्रक्रिया संहिता यदि जमानत आदेश विधि की दृष्टि
से दुर्बल हो और जिससे न्याय की हानि होती है तो ऐसे आदेश को निरस्त किया
जा सकता है इस संबंध में न्याय दृष्टांत कनवर सिंह मीणा विरूद्ध स्टेट आफ राजस्थान ए.आई.आर. 2013 एस.सी. 296 अवलोकनीय है ।
2 - एक बार जमानत दे देने के बाद उसे यांत्रिक तरीके से खारिज नहीं करना चाहिए जब तक की ऐसी
Supervening परिस्थितियाँ न हो जिसमें अभियुक्त को जमानत पर रखना उचित न हो ।
3 - न्याय दृष्टांत सी.बी.आई विरूद्ध सुब्रहमणी गोपाल कृष्णन् (2011) 5 एस.सी. 296
के अनुसार जमानत निरस्ती के आधार बहुत बवहमदज होना चाहिए और अत्यंत
महत्वपूर्ण परिस्थितियां होना चाहिए जिसमें जमानत निरस्त करना आवश्यक हो
गया हो तभी जमानत निरस्त करना चाहिए ।
4 - प्रकाश कदम विरूद्ध रामप्रसाद विश्वनाथ गुप्ता 2011 (6) एस.सी.सी 189
में अपील/रिवीजन न्यायालय द्वारा जमानत निरस्त करने के बारे में प्रकाश
डाला गया है और यह कहा गया है कि ऐसा कोई निरपेक्ष नियम नहीं है कि जमानत
निरस्ती के प्रावधान जमानत देने के प्रावधान से अलग है यह प्रत्येक मामले
के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है जमानत निरस्त करते समय
न्यायालय अपराध की प्रकृति, गंभीरता अभियुक्त की स्थिति आदि पर विचार करती
है यदि अभियुक्त के विरूद्ध अत्यंत गंभीर अभियोग हो तो उसकी जमानत निरस्त
की जा सकती है चाहे उसने उसका दुरूपयोग न किया हो केवल अभियुक्त ने जमानत
का दुरूपयोग नहीं किया है यह जमानत निरस्त करते समय एकमात्र विचारणीय तथ्य
नहीं हो सकता । जहाँ सुसंगत सामग्री को विचार में नहीं लिया गया और असंगत
सामग्री को विचार में लेकर जमानत दे दी गयी हो और जमानत का लिया जाना
अनुचित हो वहाँ उसे निरस्त की जा सकती है इस संबंध में दिनेश विरूद्ध स्टेट आफ गुजरात (2008) 5 एस.सी.सी. 66 अवलोकनीय है ।
5 - न्याय दृष्टांत डी.के. गणेश बाबू विरूद्ध पी.टी. मनोकरण ए.आई.आर. 2007 एस.सी. 1450
के अनुसार अग्रिम जमानत की शक्तियाँ एक्सटरा आॅडिनरी पाॅवर है इनका उपयोग
बहुत कम करना चाहिए प्रस्तावित गिरफ्तारी की वैधानिकता नहीं देखी जा सकती
गिरफ्तारी को रोकने के लिए अंतरिम आदेश नहीं किया जाना चाहिए ।
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