पैतृक संपत्ति को एक भाई द्वारा विक्रय करने पर प्रथम अधिकार दूसरे भाई को क्रय करने का होगा - सुप्रीम कोर्ट CA2553/2019
माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा Babu Ram vs Santokh Singh (Deceased) सिविल अपील नंबर 2553 वर्ष 2019 निर्णय 07/03/2019 में निम्न सिद्धांतों को प्रतिपादित किया है :-
पैतृक संपत्ति को कैसे डील करना है ?
क्या एक भाई अपनी पैतृक संपत्ति को बेच सकता है ? हां।
क्या बैंचने से पहले दूसरे भाई से पूछना अनिवार्य है? हां।
क्या पैतृक संपत्ति को दूसरा भाई बेच रहा है तो पहला भाई उसको कोर्ट में जाकर रुकवा सकता है? हां।
इस मामले में संतोख सिंह ने सिविल कोर्ट मैं सूट फाइल कर न्यायालय से मांग की गई कि मेरे भाई द्वारा पैतृक संपत्ति उसके हिस्से में मिली थी वह दूसरे व्यक्ति को बेची हैं, जबकि मैं उसका सगा भाई और पड़ोसी था इसलिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 22 के अनुसार मुझे बेचना चाहिए था, लेकिन सिविल जज द्वारा दावा खारिज कर दिया।
जिसकी अपील जिला न्यायालय में की गई जिला न्यायाधीश द्वारा प्रथम अपील को स्वीकार करते हुए संतोष सिंह को भूमि क्रय करने का प्रथम अधिकार है और जो रजिस्ट्री दूसरे व्यक्ति को विक्रय करने के लिए की गई है वह शून्य घोषित की गई । इसलिए उसको ही संपत्ति खरीदने का अधिकार है ।
जिसके विरोध द्वितीय अपील हाईकोर्ट में की गई वह भी अस्वीकार की गई ।
और सुप्रीम कोर्ट मैं विशेष अनुमति याचिका एसएलपी पेश की गई जिसमें संपत्ति का मूल्य निर्धारण कैसे होगा? यह बताया। यहां पर यह निर्धारित किया गया कि यदि भाई उस संपत्ति को खरीदेगा तो आपसी सहमति से मूल निर्धारित कर लेंगे लेकिन मूल्य निर्धारित नहीं होता और यह परिस्थिति आती है कि उस संपत्ति का मूल्य क्या होगा इस पर विवाद होगा क्योंकि विक्रेता बहुत अधिक मूल्य बताएगा और क्रेता कम मूल्य बताएगा, ऐसी स्थिति में सिविल कोर्ट मैं एक आवेदन पेश कर उस संपत्ति का मूल निर्धारित कराया जाएगा और उस मूल पर संपत्ति क्रय/ विक्रय की जाएगी। और उक्त प्रश्नों को प्रतिपादित करते हुए प्रथम अधिकार भाई को क्रय करने का होना बताते हुए बाबूराम कि अपील अस्वीकार की गई।
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