*वाद संपत्ति के क्रेता को मुकदमे के लंबित रहने के दौरान न्यायालय द्वारा पारित डिग्री के निष्पादन का प्रतिरोध करने या बाधा डालने का अधिकार नहीं है- आदेश 21 नि. 97,100, 102*
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 21 नियम 97,100 व 102- निष्पादन कार्यवाहियां- सद्भाविक क्रेता का विचाराधीन बाद- प्रत्यार्थी क्रमांक 1 वादी ने प्रत्यार्थी क्रमांक 2 प्रतिवादी के विरुद्ध संविदा के विनिर्दिष्ट पालन हेतु एक वाद प्रस्तुत किया जिसमें एक पक्षीय डिग्री पारित की गई थी - विचारण न्यायालय के समक्ष निष्पादन कार्रवाईयों में, अपीलार्थियों ने इस आधार पर आदेश 21 नियम 97 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत किया कि वह बाद संपत्ति का सद्भाविक क्रेता था - आवेदन खारिज किया गया था - को चुनौती - अभिनिर्धारित - बाद संपत्ति के क्रेता को मुकदमे के लंबित रहने के दौरान न्यायालय द्वारा पारित डिग्री के निष्पादन का प्रतिरोध करने या बाधा डालने का अधिकार नहीं है - विचाराधीन बाद एक पक्षकार को, ऐसी संपत्ति के संबंध में व्यवहार करने से प्रतिसिद्ध करता है जो कि बात की विषय वस्तु है - नियम 102 आगे यह स्पष्ट करता है कि वादकालीन अंतरित द्वारा प्रतिरोध या बाधा नहीं होनी चाहिए तथा यदि यह निर्णीत ऋणी के वाद कालीन अंतरिती द्वारा कारित/ प्रस्तावित किया जाता है, तो वह सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 21 नियम 98 या 100 का लाभ नहीं जा सकता - आगे अभिनिर्धारित - यह प्रतीत होता है कि अपीलार्थी गण ने निर्णीत ऋणी के साथ सांठगांठ की थी तथा डिग्री के निष्पादन का विरोध करने के लिए उसके द्वारा खड़े किए गए थे - आवेदन आत्यंतिक रूप से परेशान करने वाला है तथा संपत्ति के कब्जे का परिदान को बाधित करने हेतु कोई विधिक अधिकार प्रकट नहीं करता है ताकि साक्ष्य अभिलिखित हो सके - विचारण न्यायालय ने सुनवाई का अवसर प्रदान करने के पश्चात उचित रूप से आवेदन खारिज किया - अपील ₹5000 के साथ खारिज। चंद्र कुमार चांदवानी विरुद्ध अनिल गुप्ता, आई एल आर (2017) मध्य प्रदेश 1701
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 21 नियम 97,100 व 102- निष्पादन कार्यवाहियां- सद्भाविक क्रेता का विचाराधीन बाद- प्रत्यार्थी क्रमांक 1 वादी ने प्रत्यार्थी क्रमांक 2 प्रतिवादी के विरुद्ध संविदा के विनिर्दिष्ट पालन हेतु एक वाद प्रस्तुत किया जिसमें एक पक्षीय डिग्री पारित की गई थी - विचारण न्यायालय के समक्ष निष्पादन कार्रवाईयों में, अपीलार्थियों ने इस आधार पर आदेश 21 नियम 97 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत किया कि वह बाद संपत्ति का सद्भाविक क्रेता था - आवेदन खारिज किया गया था - को चुनौती - अभिनिर्धारित - बाद संपत्ति के क्रेता को मुकदमे के लंबित रहने के दौरान न्यायालय द्वारा पारित डिग्री के निष्पादन का प्रतिरोध करने या बाधा डालने का अधिकार नहीं है - विचाराधीन बाद एक पक्षकार को, ऐसी संपत्ति के संबंध में व्यवहार करने से प्रतिसिद्ध करता है जो कि बात की विषय वस्तु है - नियम 102 आगे यह स्पष्ट करता है कि वादकालीन अंतरित द्वारा प्रतिरोध या बाधा नहीं होनी चाहिए तथा यदि यह निर्णीत ऋणी के वाद कालीन अंतरिती द्वारा कारित/ प्रस्तावित किया जाता है, तो वह सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 21 नियम 98 या 100 का लाभ नहीं जा सकता - आगे अभिनिर्धारित - यह प्रतीत होता है कि अपीलार्थी गण ने निर्णीत ऋणी के साथ सांठगांठ की थी तथा डिग्री के निष्पादन का विरोध करने के लिए उसके द्वारा खड़े किए गए थे - आवेदन आत्यंतिक रूप से परेशान करने वाला है तथा संपत्ति के कब्जे का परिदान को बाधित करने हेतु कोई विधिक अधिकार प्रकट नहीं करता है ताकि साक्ष्य अभिलिखित हो सके - विचारण न्यायालय ने सुनवाई का अवसर प्रदान करने के पश्चात उचित रूप से आवेदन खारिज किया - अपील ₹5000 के साथ खारिज। चंद्र कुमार चांदवानी विरुद्ध अनिल गुप्ता, आई एल आर (2017) मध्य प्रदेश 1701
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