Wednesday, 29 January 2014

आधारभूत कैस ला सिद्धांत LALARAM MEENA

आधारभूत  कैस ला सिद्धांत

प्रेमशंकर शुक्ला विरूद्ध दिल्ली प्रशासन के मामले में ‘‘हथकड़ी लगाने के विरूद्ध
अधिकार को अनुच्छेद 21 में सम्मिलित ठहराया गया था।’’


केशवानंद भारती विरूद्ध केरल राज्य के मामले में ‘‘आधारभूत संरचना का
सिद्धांत स्थापित किया गया था।’’


अटार्नी जनरल आॅफ इण्डिया विरूद्ध लचमा देवी के मामले में ‘‘एस.सी. ने
सार्वजनिक फांसी के विरूद्ध अधिकार को मान्य ठहराया।’’


मोहनी जैन विरूद्ध कर्नाटक राज्य के मामले में ‘‘शिक्षा के अधिकार को संविधान
के भाग 3 के अन्तर्गत स्थापित मूलभूत अधिकारों का सहभागी ठहराया गया
था।’’


देवमन उपाध्याय विरूद्ध उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में ‘‘धारा 27 साक्ष्य
अधिनियम को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया गया था।’’


बिरसा सिंह विरूद्ध पंजाब राज्य के मामले में ‘‘ एस.सी. ने धारा 300 
(आई.पी.सी. ) के खण्ड (3 ) के अर्थ एवं परिधि को स्पष्ट किया था‘‘

सेंट्रल इंग्लैण्ड वाटर ट्रांसपोर्ट कंपनी विरूद्ध ब्रजोनाथ गांगुली में बताया है ‘‘
अनुच्छेद 14 में प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत निहित है।’’

मेनका गांधी विरूद्ध भारत संघ के मामले में ‘‘प्राकृतिक न्याय मानवता वादी
सिद्धांत है जिसका अभिप्राय विधि में निष्पक्षता प्रदान करना है।’’


संध्या मनोज बानखेड़े विरूद्ध मनोज वावन राव बानखेड़े 2011 एआईआर
एससीडब्ल्यू 1327 के मामले में बताया कि ‘‘घरेलू हिंसा के मामले में पुरूष के
साथ महिला नातेदारों के विरूद्ध भी परिवाद लाया जा सकता है।


दीपक कौशल विरूद्ध मोहनलाल सुखडि़या चुनिवर सिटी उदयपुर 1996 में
बताया तथा अजय मोहन बनाम एच.एन राय ए.आई.आर. 2008 एस.सी. 229 के मामले में बताया कि ‘‘अस्थाई निषेधाज्ञा आवेदन में प्रथम दृष्टयता मामला,
सुविधा का संतुलन एवं अपूर्णीय क्षति के प्रश्न को स्वतंत्र रूप से परीक्षित किये
जायेंगे।’’


     LALARAM MEENA, ADJ Bhopal (MP)

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